सोमवार, 26 दिसंबर 2011

चमत्कार

चमत्कार
चमत्कार- इस जगत में चमत्कार जैसी चीज होती नहीं,............. हो नहीं सकती।
इस जगत में जो कुछ होता है, नियम से होता है।
हाँ, यह हो सकता है, उस नियम का हमें पता न हो।
यह हो सकता है कि उस कार्य का कारण का हमें बोध न हो।
यह हो सकता है कि कोई लिंक, कोई कड़ी अज्ञात हो, जो हमारी पकड़ में नहीं आती, इसीलिए बाद की कड़ियों को समझना बहुत मुश्किल हो जाता है।

शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

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रविवार, 12 जून 2011

totke

पंडित जी के टोटके

प्रारब्ध की बात छोड़ दें, तो भी परमेश्वर द्वारा कुछ वस्तुओं में धनप्राप्ति के गुणधर्म किये गए हैं, यह बात निर्विवाद है। जिस प्रकार यज्ञादिक कर्मों द्वारा स्वर्ग की प्राप्ति होती है, बरसात होती है या देश पर आये महान संकट दूर होते हैं, उसी प्रकार कुछ ख़ास साधनाएं और टोटके किये जाएं, तो मनुष्य को धन की प्राप्ति अवश्य होती है और घर में सुख-सम्रद्धि आती है। ये टोटके बिलकुल सरल हैं और इसके लिए जरूरी चीजें भी, सहज ही में उपलब्ध की जा सकती हैं। इसमें आपको पूर्ण श्रद्धा अवश्य होनी चाहिए। तो आइये करें ये लाभदायक व कुछ ख़ास उपाय।
 

1.      भर लें अपने भण्डार गृह
जिस स्थान पर होली जलाई जाती रही हो, वहां पर होली जलने से एक दिन पहले की रात्री में एक मटकी में गाय का घी, तिल का तेल, गेहूं और ज्वार तथा एक ताम्बे का पैसा रखकर मटकी का मुंह बंद करके गाड़ आएं। रात्रि में जब होली जल जाए, तब दूसरे दिन सुबह उसे उखाड़ लाएं। फिर इन सब वस्तुओं को पोटली में बांधकर जिस वास्तु में रख दिया जाएगा, वह वास्तु व्यय करने पर भी उसमें निरंतर वृद्धि होती रहेगी, और आपके भंडार भरे हुए रहेंगे।

2.     अगर आप चाहते हैं की आपके प्रतिष्ठान में बिक्री ज्यादा हो तो यह करें
आप अपने व्यापार में अधिक पैसा प्राप्त करना चाहते हैं और चाहते हैं की आपके व्यापार की बिक्री बढ़ जाए तो आप वट वृक्ष की लता को शनिवार के दिन जाकर निमंत्रण दे आएं। (वृक्ष की जड़ के पास एक पान, सुपारी और एक पैसा रख आएं) रविवार के दिन प्रातः काल जाकर उसकी एक जटा तोड़ लाएं, पीछे मुड़कर न देखें। उस जटा को घर लाकर गुग्गल की धूनी दें तथा 101 बार इस मंत्र का जप करें-
ॐ नमो चण्ड अलसुर स्वाहा।

3.    छोटे बच्चों को नजर लगने पर-
अगर आप चाहते हैं की छोटे बच्चों को नजर न लगे इसके लिए हाथ में चुटकी भर रक्षा लेकर ब्रहस्पतिवार के दिन 'ॐ चैतन्य गोरखनाथ नमः मंत्र का 108 बार जप करें। फिर इसे छोटी-सी पुडिया में डालकर काले रेशमी धागे से बच्चे के गले में बाँधने पर बुरी नजर नहीं लगती।

4.    अपने व्यापार में करें मनोवांछित उन्नति-
अगर आप अपने व्यापार में मनोवांछित उन्नति करना चाहते हैं तो सोमवार को प्रातः नवनिर्मित अंगूठी को गंगाजल में धोकर गाय के दूध में डुबो दें, उसमें थोड़ी-सी शक्कर, तुलसी के पत्ते और कोई भी सफ़ेद फूल डाल दें। इसके पश्चात स्नान ध्यान से निवृत्त होकर अंगूठी को पहन लें। ऐसा करने से व्यापार में मनोवांछित उन्नति प्राप्त होगी।

5.    कन्या के विवाह में विलम्ब होने पर-
अगर आपकी कन्या के विवाह में विलम्ब हो रहा हो या कन्या के लिए योग्य वर की तलाश पूरी नहीं हो रही हो तो किसी भी गुरूवार के दिन प्रातःकाल नहा धोकर बेसन के लड्डू स्वयं बनाएं। उनकी गिनती 109 होनी चाहिए। फिर पीले रंग की टोकरी में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उन लड्डूओं को उसमें रख दें तथा अपनी श्रद्धानुसार कुछ दक्षिणा रख दें। पास के किसी शिव मंदिर में जाकर विवाह हेतु प्रार्थना कर घर आ जाएं।

6.    आपके ज्यादातर कार्य असफल हो रहे हैं तो यह करें-
आप चाहते हैं की आपके द्वारा किये गए कार्य सफल हो लेकिन कार्य के प्रारम्भ होते ही उसमें विध्न आ जाते हैं और वह असफल हो जाते हैं इसके लिए आप यह करें: प्रातःकाल कच्चा सूत लेकर सूर्य के सामने मुंह करके खड़े हो जाएं। फिर सूर्य देव को नमस्कार करके 'ॐ हीं घ्रणि सूर्य  आदित्य श्रीम' मंत्र बोलते हुए सूर्य देव को जल चढ़ाएं। जल में रोली, चावल, चीनी तथा लाल पुष्प दाल लें। इसके पश्चात कच्चे सूत को सूर्य देव की तरफ करते हुए गणेशजी का स्मरण करते हुए सात गाँठ लगाएं। इसके पश्चात इस सूत को किसी खोल में रखकर अपनी कमीज की जेब में रख लें, आपके बिगड़े कार्य बनाने लगेंगे।

7.    गर्भ धारण करने के लिए-
अगर आपको किसी कारणवश गर्भ धारण नहीं हो रहा हो तो मंगलवार के दिन कुम्हार के घर आएं और उसमें प्रार्थना कर मिट्टी के बर्तन वाला डोरा ले आएं। उसे किसी गिलास में जल भरकर दाल दें। कुछ समय पश्चात डोरे को निकाल लें और वह पानी पति-पत्नी दोनों पी लें। यह क्रिया केवल मंगलवार को ही करनी है अगर संभव हो तो उस दिन पति-पत्नी अवश्य ही रमण करें। गर्भ की स्थिति बनते ही उस डोरे को हनुमानजी के चरणों में रख दें।

8.    अपने घर-गृहस्थी को बनाएं सुखी-
अक्सर हम गृहस्थ जीवन में देखते हैं तो गृहस्थ का सामान टूट-फूट जाता है या सामान चोरी हो जाता है। जो भी आता है असमय ही ख़त्म हो जाता है। रसोई में बरकत नहीं रहती है तो ऐसी स्त्रियाँ भोजन बनाने के बाद शेष अग्नि को न बुझाएं और जब सब जलकर राख हो जाए तो राख को गोबर में मिलाकर रसोई को लीप दें। फर्श हो तो उस राख को पानी में घोलकर उसी पानी से फर्श डालें। यह क्रिया कई बार करें। घर-गृहस्थी का छोटा-मोटा सामान, गिलास, कटोरी, चम्मच आदि सदैव बने रहेंगे।

9.    इच्छा के विरूद्ध कार्य करना पड़ रहा हो तो-
अगर आपको किसी कारणवश कोइ कार्य अपनी इच्छा के विपरीत करना पड़ रहा हो तो आप कपूर और एक फूल वाली लौंग एक साथ जलाकर दो-तीन दिन में थोड़ी-थोड़ी खा लें। आपकी इच्छा के विपरीत कार्य होना बंद हो जाएगा।
 
10.    दाम्पत्य जीवन से झगड़े दूर करें ऐसे-
अगर आपका दाम्पत्य जीवन अशांत है तो आप रात्री में शय न करते समय पत्नी अपने पलंग पर देशी कपूर तथा पति के पलंग पर कामिया सिन्दूर रखें. प्रातः सूर्यदे के समय पति देशी कपूर को जला दें और पत्नी सिन्दूर को भवन में छिटका दें। इस टोटके से कुछ ही दिनों में कलह समाप्त हो जाती है।

11.    बेरोजगारी दूर करने हेतु-
अगर आपको नौकरी या काम नहीं मिल रहा है और आप मारे-मारे फिर रहे हैं तो एक दागरहित बड़ा नीबूं लें और चौराहे पर बारह बजे से पहले जाकर उसके चार हिस्से कर लें और चारों दिशाओं में दूर-दूर फेंक दें। फलस्वरूप बेरोजगारी की समस्या समाप्त हो जाएगी।

12.    भाग्योदय करने के लिए करें यह उपाय-
अपने सोए भाग्य को जगाने के लिए आप प्रात सुबह उठकर जो भी स्वर चल रहा हो, वही हाथ देखकर तीन बार चूमें, तत्पश्चात वही पांव धरती पर रखें और वही कदम आगे बाधाएं। ऐसा नित्य-प्रतिदिन करने से निश्चित रूप से भाग्योदय होगा।

13.    त्वचा रोग होने पर यह करें-
त्वचा संबंधी रोग केतु के दुष्प्रभाव से बढ़ते हैं। यदि त्वचा संबंधी घाव ठीक न हो रहा हो तो सायंकाल मिट्टी के नए पात्र में पानी रखकर उसमें सोने की अंगूठी या एनी कोइ आभूषण दाल दें। कुछ देर बाद उसी पानी से घाव को धोने के बाद अंगूठी निकालकर रख लें तथा पाने किसी चौराहे पर फेंक आएं। ऐसा तीन दिन करें तो रोग शीघ्र ठीक हो जाएगा।

14.    मंदी से छुटकारा पाएं ऐसे-
अगर आपके व्यापार में मंदी आ गयी है या नौकरी में मंदी आ गयी है तो यह करें। किसी साफ़ शीशी में सरसों का तेल भरकर उस शीशी को किसी तालाब या बहती नदी के जल में डाल दें। शीघ्र ही मंदी का असर जाता रहेगा और आपके व्यापार में जान आ जाएगी।

15.    भय को दूर करें ऐसे-
अगर आपको बिना कारण भय रहता हो या सांप-बिच्छू या वन्य पशुओं का भय रहता हो तो यह करें : बांस की जड़ जलाकर उसे कान पर धारण करने से भय मिट जाता है। निर्गुन्डी की जड़ अथवा मोर पंख घर में रख देने से सर्प कभी भी घर में प्रवेश नहीं करता। रवि-पुष्य योग में प्राप्त सफ़ेद चादर की जड़ लाकर दाईं भुजा पर बाँधने से वन्य पशुओं का भय नहीं रहता है साथ ही अग्नि भय से भी छुटकारा मिल जाता है। केवड़े की जड़ कान पर धारण करने से शत्रु भय मिट जाता है।

16.    अगर आपके परिवार में कोई रोगग्रस्त हो तो यह करें.
अगर स्वास्थ्य में सुधर न होता हो तो यह उपाय करें: एक देशी अखंडित पान, गुलाब का फूल और कुछ बताशे रोगी के ऊपर से 31 बार उतारें तथा अंतोक चौराहे पर रख दें। इसके प्रभाव से रोगी की दशा में शीघ्रता से सुधार होगा।

17.    पारिवारिक सुख-शांति के लिए-
अगर आपके परिवार में अशांति रहती है और सुख-चैन का अभाव है तो प्रतिदिन प्रथम रोगी के चार भाग करें, जिसका एक गाय को, दूसरा काले कुत्ते को, तीसरा कौवे को तथा चौथा टुकड़ा किसी चौराहे पर रखवा दें तो इसके प्रभाव से समस्त दोष समाप्त होकर परिवार की शांति तथा सम्रद्धि बढ़ जाती है।
 
18.    अपनाएं सुखी रहने के कुछ नुस्खे-
ब्रहस्पतिवार या मंगलवार को सात गाँठ हल्दी तथा थोड़ा-सा गुड इसके साथ पीतल का एक टुकड़ा इन सबको मिलाकर पोटली में बांधें तथा ससुराल की दिशा में फेंक दें तो वहां हर प्रकार से शांति व सुख रहता है।
कन्या अपनी ससुराल में रहते हुए यह करें। मेहँदी तथा साबुत उरद जिस दिशा में वधु का घर हो, उसी दिशा में फेंकने से वर-वधु में प्रेम बढ़ता है।
किसी विशेष कार्य के लिए घर के निकलते समय एक साबुत नीबू लेकर गाय के गोबर में दबा दें तथा उसके ऊपर थोड़ा-सा कामिया सिन्दूर छिड़क दें तथा कार्य बोलकर चले जाएं तो कार्य निश्चित ही बन जाता है।
 सावन के महीने में जब पहली बरसात हो तो बहते पानी में विवाह करने से दुर्भाग्य दूर हो जाता है।
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19.    अविवाहित व अधिक उम्र की कन्या के विवाह के लिए-
अगर आपकी लडकी अविवाहित है या उसकी उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी है इसके कारण विवाह होने में रूकावटें आ रही हो तो इसके लिए एक उपाय है: देवोत्थान एकादशी कच और देवयानी की मिट्टी की मूरतें बनाकर उन मूर्तियों में हल्दी, चावल, आते का घोल लगाकर उनकी पूजा करके उन्हें एक लकड़ी के फट्टे से ढक लेते हैं. फिर उस फट्टे पर कुमारी कन्या को बिठा दिया जाता है तो उसका विवाह हो जाता है।
20    राई से करें दरिद्रता निवारण-
पैसों का कोइ जुगाड़ न बन रहा हो तथा घर में दरिद्रता का वाश हो तो यह करें: एक पानी भरे घड़े में राई के पत्ते डालकर इस जल को अभिमंत्रित करके जिस भी किसी व्यक्ति को स्नान कराया जाएगा उसकी दरिद्रता रोग नष्ट हो जाते हैं।

21.   स्वप्न में भविष्य जानें इस तरह भी-
अगर आप स्वप्न में भविष्य की बात मालूम करना चाहते हैं तो जंगल में जाकर जिस वृक्ष पर अमर बेल हो, उसकी सात परिक्रमा कर अमर बेल्युक्त एक लकड़ी को तोड़ लाएं। फिर उस लकड़ी को धुप देकर जला दें तथा लता को सिरहाने रखकर विचार करते हुए सो जाएं तो स्वप्न में भविष्य की बात मालूम हो जाती है।


इस ब्लॉग में लिखे गये लेखों और रचनाओं का संकलन पूर्णतः अव्यावसायिक प्रयोजन से जनहित लाभार्थ किया गया है। यदि इससे किसी के भी कॉपीराइट को हानि पहुंचती हो तो कृपया E-mail करके सूचित करें।

टोने-टोटके - कुछ उपाय
हमारे आसपास पाए जाने वाले विभिन्न पेड़-पौधों के पत्तों, फलों आदि का टोटकों के रूप में उपयोग भी हमारी सुख-समृद्धि की वृद्धि में सहायक हो सकता है। यहां कुछ ऐसे ही सहज और सरल उपायों का उल्लेख प्रस्तुत है, जिन्हें अपना कर पाठकगण लाभ उठा सकते हैं।
विल्व पत्र : अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल के पत्ते डालकर वह दूघ निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसे संतान की प्राप्ति होती है।
अपामार्ग की जड़ : अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाकर इसे तावीज में रखकर किसी सभा में जाएं, सभा के लोग वशीभूत होंगे।
नागर बेल का पत्ता : यदि घर में किसी वस्तु की चोरी हो गई हो, तो भरणी नक्षत्र में नागर बेल का पत्ता लाकर उस पर कत्था लगाकर व सुपारी डालकर चोरी वाले स्थान पर रखें, चोरी की गई वस्तु का पला चला जाएगा।
संखाहुली की जड़ : भरणी नक्षत्र में संखाहुली की जड़ लाकर तावीज में पहनें तो विपरीत लिंग वाले प्राणी आपसे प्रभावित होंगे।
आक की जड़ : कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय हेतु आर्द्रा नक्षत्र में आक की जड़ लाकर तावीज की तरह गले में बांधें।
दूधी की जड़ : सुख की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ लाकर शरीर में लगाएं।
शंख पुष्पी : पुष्य नक्षत्र में शंखपुष्पी लाकर चांदी की डिविया में रखकर तिजोरी में रखें, धन की वृद्धि होगी।
बरगद का पत्ता : अश्लेषा नक्षत्र में बरगद का पत्ता लाकर अन्न भंडार में रखें, भंडार भरा रहेगा।
धतूरे की जड़ : अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ लाकर घर में रखें, घर में सर्प नहीं आएगा और आएगा भी तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।
बेहड़े का पत्ता : पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बेहड़े का पत्ता लाकर घर में रखें, घर ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्त रहेगा।
नीबू की जड़ : उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की जड़ लाकर उसे गाय के दूध में मिलाकर निःसंतान स्त्री को पिलाएं, उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।
चंपा की जड़ : हस्त नक्षत्र में चंपा की जड़ लाकर बच्चे के गले में बांधें, बच्चे की प्रेत बाधा तथा नजर दोष से रक्षा होगी।
चमेली की जड़ : अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ गले में बांधें, शत्रु भी मित्र हो जाएंगे।
काले एरंड की जड़ : श्रवण नक्षत्र में एरंड की जड़ लाकर निःसंतान स्त्री के गले में बांधें, उसे संतान की प्राप्ति होगी।
तुलसी की जड़ : पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में तुलसी की जड़ लाकर मस्तिष्क पर रखें, अग्निभय से मुक्ति मिलेगी।
टोने-टोटके
छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत्‌
जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय
स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत्‌ जानकारी दी जा रही है...

परीक्षा में सफलता हेतु : परीक्षा में सफलता हेतु गणेश रुद्राक्ष धारण करें। बुधवार को गणेश जी के मंदिर में जाकर दर्शन करें और मूंग के लड्डुओं का भोग लगाकर सफलता की प्रार्थना करें।

पदोन्नति हेतु : शुक्ल पक्ष के सोमवार को सिद्ध योग में तीन गोमती चक्र चांदी के तार में एक साथ बांधें और उन्हें हर समय अपने साथ रखें, पदोन्नति के साथ-साथ व्यवसाय में भी लाभ होगा।

मुकदमे में विजय हेतु : पांच गोमती चक्र जेब में रखकर कोर्ट में जाया करें, मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होगा।

पढ़ाई में एकाग्रता हेतु : शुक्ल पक्ष के पहले रविवार को इमली के २२ पत्ते ले आएं और उनमें से ११ पत्ते सूर्य देव को ¬ सूर्याय नमः कहते हुए अर्पित करें। शेष ११ पत्तों को अपनी किताबों में रख लें, पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी।

कार्य में सफलता के लिए : अमावस्या के दिन पीले कपड़े का त्रिकोना झंडा बना कर विष्णु भगवान के मंदिर के ऊपर लगवा दें, कार्य सिद्ध होगा।

व्यवसाय बाधा से मुक्ति हेतु : यदि कारोबार में हानि हो रही हो अथवा ग्राहकों का आना कम हो गया हो, तो समझें कि किसी ने आपके कारोबार को बांध दिया है। इस बाधा से मुक्ति के लिए दुकान या कारखाने के पूजन स्थल में शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को अमृत सिद्ध या सिद्ध योग में श्री धनदा यंत्र स्थापित करें। फिर नियमित रूप से केवल धूप देकर उनके दर्शन करें, कारोबार में लाभ होने लगेगा।

गृह कलह से मुक्ति हेतु : परिवार में पैसे की वजह से कलह रहता हो, तो दक्षिणावर्ती शंख में पांच कौड़ियां रखकर उसे चावल से भरी चांदी की कटोरी पर घर में स्थापित करें। यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार को या दीपावली के अवसर पर करें, लाभ अवश्य होगा।

क्रोध पर नियंत्रण हेतु : यदि घर के किसी व्यक्ति को बात-बात पर गुस्सा आता हो, तो दक्षिणावर्ती शंख को साफ कर उसमें जल भरकर उसे पिला दें। यदि परिवार में पुरुष सदस्यों के कारण आपस में तनाव रहता हो, तो पूर्णिमा के दिन कदंब वृक्ष की सात अखंड पत्तों वाली डाली लाकर घर में रखें। अगली पूर्णिमा को पुरानी डाली कदंब वृक्ष के पास छोड़ आएं और नई डाली लाकर रखें। यह क्रिया इसी तरह करते रहें, तनाव कम होगा।

मकान खाली कराने हेतु : शनिवार की शाम को भोजपत्र पर लाल चंदन से किरायेदार का नाम लिखकर शहद में डुबो दें। संभव हो, तो यह क्रिया शनिश्चरी अमावस्या को करें। कुछ ही दिनों में किरायेदार घर खाली कर देगा। ध्यान रहे, यह क्रिया करते समय कोई टोके नहीं।

बिक्री बढ़ाने हेतु : ग्यारह गोमती चक्र और तीन लघु नारियलों की यथाविधि पूजा कर उन्हें पीले वस्त्र में बांधकर बुधवार या शुक्रवार को अपने दरवाजे पर लटकाएं तथा हर पूर्णिमा को धूप दीप जलाएं। यह क्रिया निष्ठापूर्वक नियमित रूप से करें, ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी और बिक्री बढ़ेगी।


वृक्षों को भगवान द्वारा प्रदत्त जीवनी शक्ति मानी गई है। यदि हमें कुछ मिनट वृक्षों से मिलने वाली ऑक्सीजन न मिले तो उसी क्षण विज्ञान की भौतिक उपलब्घियां हमारे लिए कुछ नहीं कर पाएंगी। वृक्षों को हम साक्षात् शिव मान सकते हैं। जिस प्रकार से समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीकर सृष्टि की रक्षा की उसी प्रकार पेड़ प्रतिक्षण कॉब्ाüनडाइऑक्साइड रूपी जहर पीकर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। अपना शरीर देकर हमारे लिए दैनिक उपयोग और भवन निर्माण के लिए फर्नीचर प्रदान करते हैं। आइए जानें वृक्ष वास्तु के नियम-

पौधारोपण उत्तरा,स्वाति,हस्त,रोहिणी एवं मूल नक्षत्रों में करना चाहिए। ऎसा करने पर रोपण निष्फल नहीं होता।
घर के पूर्व में बरगद, पश्चिम में पीपल, उत्तर में पाकड़ और दक्षिण में गूलर का वृक्ष शुभ होता है किंतु ये घर की सीमा में नहीं होना चाहिए।
घर के उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र में कम ऊंचाई के पौधे लगाने चाहिए।
घर के दक्षिण एवं पश्चिम क्षेत्र में ऊंचे वृक्ष (नारियल,अ शोकादि) लगाने चाहिए। ये शुभ होते हैं।
जिस घर की सीमा में निगुण्डी का पौधा होता है वहां गृह कलह नहीं होता।
जिस घर में एक बिल्ब का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है।

जिस व्यक्ति को उत्तम संतान एवं सुख देने वाले पुत्र की कामना हो,उसे पलाश का पेड़ लगाना चाहिए। यह आवासीय घर की सीमा में नहीं होना चाहिए।
घर के द्वार और चौखट में भूलकर भी आम और बबूल की लकड़ी का उपयोग न करें।
कोई भी पौधा घर के मुख्य द्वार के सामने न रोपें। द्वार भेद होता है। इससे बच्चे का स्वास्थ्य खराब रहता है।
तुलसी का पौधा घर की सीमा में शुभ होता है।
बांस का पौधा रोपना अशुभ होता है।
वृक्षों की छाया प्रात: 9 बजे से दोपहर 3 बजे के मध्य भवन की छत पर नहीं पड़नी चाहिए।
जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए। इससे बच्चों का स्वास्थ्य खराब होता है।
वृक्ष के पत्ते, डंडे आदि को तोड़ने पर दूध निकलता हो तो इन्हें दूध वाले वृक्ष कहलाते हैं। ऎसे पेड़ स्थापित करने से धन हानि के योग बनते हैं। इनमें महुआ,बरगद,पीपल आदि प्रमुख हैं। केवड़ा,चंपा के पौधों को अपवाद माना गया है।

बैर,पाकड़,बबूल ,गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं। इनमें जति और गुलाब अपवाद हैं। घर में कैकट्स के पौधे नहीं लगाएं।


टोने-टोटके
 छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं. पर उनकी विधिवत जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तम्भ में उपयोगी टोटकों की विधिवत जानकारी दी जा रही है।

पांवों को जगाने का टोटका :

    * बहुधा देखा गया है कि प्राणी कहीं देर तक बैठा हो तो हाथ-पैर सुन्न हो जाते हैं। जो अंग सुन्न हो गया हो, उस पर उंगली से 27 का अंक लिख दीजिये, अंग ठीक हो जाएगा।


मृत्यु की आशंका से बचने के उपाय :

    * काले तिल और जौ का आटा तेल में गूंथकर एक मोटी रोटी बनाएं और उसे अच्छी तरह सेंकें। गुड को तेल में मिश्रित करके जिस व्यक्ति की मरने की आशंका हो, उसके सिर पर से 7 बार उतार कर मंगलवार या शनिवार को भैंस को खिला दें।

    * गुड के गुलगुले सवाएं लेकर 7 बार उतार कर मंगलवार या शनिवार व इतवार को चील-कौए को डाल दें, रोगी को तुरंत राहत मिलेगी।

    * महामृत्युंजय मंत्र का जप करें। द्रोव, शहद और तिल मिश्रित कर शिवजी को अर्पित करें। 'ॐ नमः शिवाय' षडाक्षर मंत्र का जप भी करें, लाभ होगा।


लक्ष्मी प्राप्ति के टोटके :

    * श्रावण के महीने में 108 बिल्व पत्रों पर चन्दन से नमः शिवाय लिखकर इसी मंत्र का जप करते हुए शिवजी को अर्पित करें। 31 दिन तक यह प्रयोग करें, घर में सुख-शांति एवं सम्रद्धि आएगी, रोग, बाधा, मुकदमा आदि में लाभ एवं व्यापार में प्रगति होगी व नया रोजगार मिलेगा। यह एक अचूक प्रयोग है।

    * भगवान् को भोग लगाई हुई थाली अंतिम आदमी के भोजन करने तक ठाकुरजी के सामने रखी रहे तो रसोई बीच में ख़त्म नहीं होती है।


बालक की दीर्घायु के लिये :

    * बालक को जन्म के नाम से मत पुकारें।

    * पांच वर्ष तक बालक को कपडे मांगकर ही पहनाएं।

    * 3 या 5 वर्ष तक सिर के बाल न कटाएं।

    * उसके जन्मदिन पर बालकों को दूध पिलाएं।

    * बच्चे को किसी की गोद में दे दें और यह कहकर प्रचार करें कि यह अमुक व्यक्ति का लड़का है।


घर में सुख-शांति के लिये :

    * मंगलवार को चना और गुड बंदरों को खिलाएं।

    * आठ वर्ष तक के बच्चों को मीठी गोलियां बाँटें।

    * शनिवार को गरीब व भिखारियों को चना और गुड दें अथवा भोजन कराएं।

    * मंगलवार व शनिवार को घर में सुन्दरकाण्ड का पाठ करें या कराएं।


ग्रहों के देवता :

    * सूर्य के देवता विष्णु, चन्द्र के देवता शिव, बुध की देवी दुर्गा, ब्रहस्पति के देवता ब्रह्मा, शुक्र की देवी लक्ष्मी, शनि के देवता शिव, राहु के देवता सर्प और केतु के देवता गणेश। जब भी इन ग्रहों का प्रकोप हो तो इन देवताओं की उपासना करनी चाहिए।

    इन बातों पर यकीन करना मुश्किल ही लगता है ..बाकि अपना अपना विश्वास है.


व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ के लिए
व्यवसाय में मनोनुकूल लाभ प्राप्ति नहीं हो रही हो तो किसी भी शनिवार के दिन नीले कपड़े 21 दानें रक्त गुंजा के बांधकर तिजोरी में रख दें। हर रोज धूप, दीप अवश्य दिखाएं। अपने इष्ट देव का ध्यान करें। ऐसा नियमित करने से व्यापार में लाभ मिलेगा और सफलता भी प्राप्त होगी।

धन खर्च रोकने हेतु
यदि परिवार मे अनावश्यक दुघर्टनाओं की वजह से या कोर्ट-कचहरी की वजह से अनावश्यक धन खर्च बढ़ रहा हो तो हर मंगलवार को स्वच्छ लाल वस्त्र सवा किलो लाल मसूर बांधकर पारिवारिक सदस्यों के ऊपर से 11 बार उसार कर कपड़े सहित बहते पानी में प्रवाह कर दें। परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा।

धन प्राप्ति हेतु
संपूर्ण प्रयासों के बावजूद धन की प्राप्ति नहीं होने पर किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को यह उपाय प्रारंभ करें। और लगातार एक साल तक करें। हर रोज नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत किसी तांबे के पात्र स्वच्छ जल भर के उसमें थोड़ा गंगा जल और शहद मिलाकर सूर्योदय से पूर्व भगवान शिव के शिवलिंग पर ॐ नम: शिवाय का जाप करते हुए चढ़ा दें। लाभ मिलेगा।

बच्चे के बीमार होने पर
यदि आपका बच्चा बीमार है जो भी खाता है उसकी उल्टी कर देता है। एक पान के पत्ते पर एक बूंदी का लड्डू, पांच गुलाब के फूल रखकर बच्चे के ऊपर से सात बार उसार कर चुपचाप किसी मंदिर में रखकर आ जाएं कष्टों से छुटकारा मिल जाएगा।

भूख लगने के लिए
यदि आपको भूख तो है लेकिन खाना मुंह में नहीं जा रहा हो तो प्रात:काल भोजन करते समय अपने भोजन में से एक रोटी निकाल दें उस रोटी को बरगद के पत्ते पर रखकर रोटी के उपर एक लौंग, एक इलायची, एक साबुत सुपारी और थोड़ी सी केसर डाल दे और अपने ऊपर से सात बार उसार कर किसी चौराहे पर चुपचाप रखकर आ जाएं। भूख लगने लगेगी मन प्रसन्न रहेगा।

व्यापार व नौकरी में स्थिरता हेतु
वे लोग जो अपने व्यापार व नौकरी को लेकर हमेशा तनाव में रहते हैं। बार-बार अपना कारोबार बदलते है व बार-बार नौकरी बदलते है तथा कहीं पर भी स्थिर नहीं रह पाते हैं। उन्हें यह प्रयोग जरूर अजमाना चाहिए। 17 इंच लंबा काला रेशमी धागा ले उसे लाल चंदन, कुंकम व केसर को घोलकर उसे रंग लें। तत्पश्चात 'ॐ हं पवननंदनाय स्वाहा' मंत्र का जाप करते हुए आठ गांठ लगा दें। प्रत्येक गांठ पर एक सौ आठ पर इस मंत्र का जाप करें। तत्पश्चात इस अभिमंत्रित धागे को अपने कारोबार के मुख्य द्वार पर बांध दे। नौकरी से संबंधित लोगों को अपनी चेयर या मेज की दराज में रख ले या कुर्सी पर यह धागा बांध लें। कारोबार व नौकरी में अवश्य स्थिरता आ जायेगी।

बचत के लिये
आप अनावश्यक खर्चें से परेशान है, आपके हाथ से न चाहते हुये भी खर्चा अधिक हो जाता हो तो यह प्रयोग आपके लिये बहुत ही लाभदायक रहेगा। किसी भी माह के पहले सोमवार को 11 गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग लें। पीलेवस्त्र में रख कर अपने पूजा स्थान में रख दें। श्रद्धापूर्वक पंचोपचार पूजन करें। धूप, दीप, नैवेद्य, फूल, अक्षत अर्पित करें। तत्पश्चात ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्मयै: नम:। 11 माला जाप करें। ऐसा 7 दिन नियमित रूप से पूजन और जाप करें। पुन: दूसरे सोमवार को श्रद्धापूर्वक पूजन और जाप के उपरांत उसमें से 4 गोमती चक्र, 4 कौड़ी, 4 लौंग घर के चारों कोनों में गड्डा खोदर कर डाल दें। शेष बचें 5 गोमती चक्र, 5 कौड़ी, 5 लौंग को लाल वस्त्र में बांधकर अपनी तिजारी में रख दें। और दो गोमती चक्र, दो कौड़ी और दो लोंग को श्रद्धापूर्वक किसी भी भगवान के मंदिर में अर्पित कर दें। मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी।

दुकान की बिक्री बढ़ाने हेतु
आप मेहनत कर रहे हैं दुकान में पूरा सामान है परन्तु बिक्री नही हो रही हो अपनी दुकान में लक्ष्मी जी का चित्र लगाकर उनके आगे धूप व दीप जलाकर प्रणाम करें प्रणाम करके 108 बार ॐ नम: कमलवासिन्यै स्वाहा। मंत्र का जाप करने के बाद अपना कार्य आरंभ करें या दुकानदारी शुरू करें। कारोबार में वृद्धि होगी, ग्राहक आने लगेंगे और काम भी बढ़ेगा।

सोचा काम बनाने के लिए
संपूर्ण प्रयासो के बावजूद भी सोचा हुआ काम पूरा नहीं होता हो तो मंगलवार के दिन यह उपाय प्रारंभ करें। और लगातार 21 मंगलवार करें। हर मंगलवार को नित्यकर्म से निवृत होकर स्नानोपरांत जटा वाले नारियल के ऊपर सवा मीटर लाल कपड़ा लपेटकर 21 बार कलावा लपेट लें। तत्पश्चात लाल कपड़े के ऊपर 21 कुंकुम की बिंदी लगा लें। नारियल को अपने ऊपर से 21 बार उसार कर के अपने पूजाा स्थान में रख दें। वहीं बैठकर एक पाठ सुंदरकांड का पाठ करें। तपश्चात अपनी मनोकामना का ध्यान करते हुए इस नारियल को बहते पानी व तालाब में प्रवाह कर दें।


टोने-टोटके - कुछ उपाय - 7

छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं। पर उनकी विधिवत जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत जानकारी दी जा रही है।

मनोकामना की पूर्ती हेतु
    * होली के दिन से शुरू करके प्रतिदिन हनुमान जी को पांच पुष्प चढाएं, मनोकामना शीघ्र पूर्ण होगी।
    * होली की प्रातः बेलपत्र पर सफ़ेद चन्दन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए शिवलिंग पर सच्चे मन से अर्पित करें। बाद में सोमवार को किसी मन्दिर में भोलेनाथ को पंचमेवा की खीर अवश्य चढाएं, मनोकामना पूरी होगी।

रोजगार प्राप्ति हेतु
    * होली की रात्री बारह बजे से पूर्व एक दाग रहित बड़ा नीबू लेकर चौराहे पर जाएं और उसकी चार फांक चारों कोनों में फेंक दें। फिर वापिस घर जाएं किन्तु ध्यान रहे, वापिस जाते समय पीछे मुड़कर न देखें। उपाय श्रद्धापूर्वक करें, शीघ्र ही बुरे दिन दूर होंगे व रोजगार प्राप्त होगा।
स्वास्थ्य लाभ हेतु

    * मृत्यु तुल्य कष्ट से ग्रस्त रोगी को छुटकारा दिलाने के लिये जौ के आटे में तिल एवं सरसों का तेल मिला कर मोटी रोटी बनाएं और उसे रोगी के ऊपर से सात बार उतारकर भैंस को खिला दें। यह क्रिया करते समय ईश्वर से रोगी को शीघ्र स्वस्थ करने की प्रार्थना करते रहें।
व्यापार लाभ के लिये
    * होली के दिन गुलाल के एक खुले पैकेट में एक मोती शंख और चांदी का एक सिक्का रखकर उसे नए लाल कपडे में लाल मौली से बांधकर तिजोरी में रखें, व्यवसाय में लाभ होगा।
    * होली के अवसर पर एक एकाक्षी नारियल की पूजा करके लाल कपडे में लपेट कर दुकान में या व्यापार पर स्थापित करें। साथ ही स्फटिक का शुद्ध श्रीयंत्र रखें. उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ में दिन दूनी रात चौगुनी वृद्धि होगी।

धनहानी से बचाव के लिये
    * होली के दिन मुख्य द्वार पर गुलाल छिडकें और उस पर द्विमुखी दीपक जलाएं। दीपक जलाते समय धनहानि से बचाव की कामना करें। जब दीपक बुझ जाए तो उसे होली की अग्नि में डाल दें। यह क्रिया श्रद्धापूर्वक करें, धन हानि से बचाव होगा।
दुर्घटना से बचाव के लिये
    * होलिका दहन से पूर्व पांच काली गुंजा लेकर होली की पांच परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर पीठ करके पाँचों गुन्जाओं को सिर के ऊपर से पांच बार उतारकर सिर के ऊपर से होली में फेंक दें।
    * होली के दिन प्रातः उठते ही किसी ऐसे व्यक्ति से कोई वास्तु न लें, जिससे आप द्वेष रखते हों। सिर ढक कर रखें। किसी को भी अपना पहना वस्त्र या रूमाल नहीं दें। इसके अतिरिक्त इस दिन शत्रु या विरोधी से पान, इलायची, लौंग आदि न लें। ये सारे उपाय सावधानी पूर्वक करें, दुर्घटना से बचाव होगा।
आत्मरक्षा हेतु
    * किसी को कष्ट न पहुंचाएं, किसी का बुरा न करें और न सोचें। आपकी रक्षा होगी।
    * घर के प्रत्येक सदस्य को होलिका दहन में घी में भिगोई हुई दो लौंग, एक बताशा और एक पान का पत्ता अवश्य चढ़ाना चाहिए। होली की ग्यारह परिक्रमा करते हुए होली में सूखे नारियल की आहुति देनी चाहिए।. इससे सुख-सम्रद्धि बढ़ती है, कष्ट दूर होते हैं।


अनबन दूर करने के लिये

    * होली के दिन 5-5 रत्ती के 5 मोतियों का ब्रेसलेट पहनें। इसके अतिरिक्त हर पूर्णिमा को चांदी के पात्र में कच्चा दूध डालकर चन्द्रमा को अर्ध्य दें, पति-पत्नी की आपसी संबंधों में मधुरता आयेगी।


मतभेद दूर करने के लिये

    * पुत्र की पिता से न बनती हो तो अमावस्या, चतुर्दर्शीय या ग्रहण के दिन पुत्र पिता के जूतों से पुराने मोज़े निकाल कर उनमें नए मोज़े रख दे, दोनों के बीच चल रहा वैमनस्य दूर हो जाएगा।


कष्ट निवारण -कार्यक्षेत्र के व्यवधान दूर करने हेतु
यदि आपका व्यवसाय तकनीकी क्षेत्र का है और आपके व्यवसाय में हमेशा कोई न कोई मशीन बहुत जल्दी खराब होती हो तो यह उपाय बहुत ही लाभदायक रहेगा। किसी भी माह के प्रथम गुरुवार के दिन हल्दी, कुंकुम और केसर की स्याही बनाकर नौ इंच सफेद कच्चे धागे को रंग लें। तत्पश्चात उसमें नौ गांठ लगा दें। मशीन के ऊपर उसी स्याही से स्वास्तिक बनाकर उस धागे को बांध दें। मशीन खराब नहीं होगी और कर्मचारी में मन लगाकर काम करेंगे

सुख-शांति हेतु
यदि आपके परिवार में हमेशा कलह रहता हो पारिवारिक सदस्य सुख शांति से न रहते हो तो शनिवार के दिन सुबह काले कपड़े में जटा वाले नारियल को लपेटकर उस पर काजल की 21 बिंदी लगा लें। और घर के बाहर लटका दें। हमेशा घर बुरी नजर से बच कर रहेगा और हमेशा सुख-शांति रहेगी।

कार्य सफलता के लिए
किसी भी शुभ कार्य के लिए घर से बाहर निकलने से पूर्व दही में गुड़ या चीनी मिलाकर सेवन करके बाहर निकलने से कार्य में सफलता मिलती है। साथ ही घर से बाहर निकलते समय अपने पास कुछ धन राशि रख दें इस धन राशि से किसी जरूरत मंद व्यक्ति को खाने की चींज देकर निकल जाएं कार्य सफलता मिल जाएगी।

यदि जातक के अपने कर्म ठीक है, कार्य व्यवसाय में वह ईमानदारी से परिश्रम करता हो, उसके बावजूद भी कार्य में सफलता नहीं मिल रही हो अथवा घर में शांति नहीं हो तो इस प्रयोग से अवश्य शांति मिलेगी। प्रतिदिन स्नान के जल में एक आम का पत्ता, एक पीपल का पत्ता, दुर्वा-11, तुलसी का एक पत्ता और एक बिल्व पत्र डालकर मृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए स्नान करें तो सभी प्रकार के ग्रह पीड़ा व कष्टों से मुक्ति मिलेगी। मंत्र इस प्रकार है।-

ओम त्रयम्बकं यजामहे सुगंधि पुष्टिवर्धनं ऊर्व्वारुकमिव वंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मां मृतात्।

भगवान दत्तात्रोय को ब्रह्मा-विष्णु-महेष की शक्तियों का संयोग कहा जाता है। अत: दत्ताात्रोय जी की साधना गूलर के पेड़ के नीचे बैठकर करने से शीघ्र फलदायी होती है। उत्तार पूर्व की ओर मुख करके 'ओम द्रां दत्तात्रोय नम:' मंत्रों का 21 दिन निरंतर 21 माला जप करने से बहुत लाभ मिलता है। पूजा में श्वेत चंदन, पुष्प और केवड़े के इत्रा का प्रयोग करना चाहिए।

अक्षय तृतीया या किसी भी शुक्रवार की रात्रि को कांसे या पीतल की थाली में काजल लगाकर काली कर दें और फिर चांदी की शलाका से लक्ष्मी का चित्र बनाएं चाहे वह कैसा भी बने, फिर चित्र के ऊपर ऐष्वर्य लक्ष्मी यंत्र स्थापित कर दें और एक निष्ठ होकर, मात्र एक सफेद धोती ही पहनकर, उत्तार दिषा की ओर मुंह कर, सामने गेहूं के आटे के चार दीपक बनाए और उसमें किसी भी प्रकार का तेल भरकर प्रज्जवलित करें और थाली के चारों कोनों पर रखे मूंगों की माला से निम्न मंत्र का एक रात्रि में 51 माला मंत्र जप करें। ओउम्ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं ह्रीं ह्रीं फट्॥ जब मंत्र पूरा हो जाए तो रात्रि में वहीं विश्राम करें और जमीन पर ही सो जाएं।

अगर आप कर्ज से परेषान है तो सफेद रुमाल लें। पांच गुलाब के फूल, एक चांदी का पत्ता, थोड़े से चावल, गुड़ लें। मंदिर में जाकर रुमाल को रखकर इन चीजों को हाथ में ले लें और 21 बार गायत्री मंत्र का पाठ करें। इनको इकठ्ठा कर कहें मेरी परेषानी दूर हो जाएं तथा मेरा कर्जा उतर जाए। फिर इन सबको ले जाकर बहते जल में प्रवाह कर दें। यह प्रक्रिया सोमवार को करनी चाहिए। अगर इसे विष्णु-लक्ष्मी की मूर्ति के सामने किया जाए तो और भी अच्छा होता है। इसे कम से कम 7 सोमवार करना चाहिए।

बचत के लिये
आप अनावश्यक खर्चें से परेशान है, आपके हाथ से न चाहते हुये भी खर्चा अधिक हो जाता हो तो यह प्रयोग आपके लिये बहुत ही लाभदायक रहेगा। किसी भी माह के पहले सोमवार को 11 गोमती चक्र, 11 कौड़ी, 11 लौंग लें। पीलेवस्त्र में रख कर अपने पूजा स्थान में रख दें। श्रद्धापूर्वक पंचोपचार पूजन करें। धूप, दीप, नैवेद्य, फूल, अक्षत अर्पित करें। तत्पश्चात ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं सिद्धलक्ष्मयै: नम:। 11 माला जाप करें। ऐसा 7 दिन नियमित रूप से पूजन और जाप करें। पुन: दूसरे सोमवार को श्रद्धापूर्वक पूजन और जाप के उपरांत उसमें से 4 गोमती चक्र, 4 कौड़ी, 4 लौंग घर के चारों कोनों में गड्डा खोदर कर डाल दें। शेष बचें 5 गोमती चक्र, 5 कौड़ी, 5 लौंग को लाल वस्त्र में बांधकर अपनी तिजारी में रख दें। और दो गोमती चक्र, दो कौड़ी और दो लोंग को श्रद्धापूर्वक किसी भी भगवान के मंदिर में अर्पित कर दें। मनोवांछित सफलता प्राप्त होगी।

स्वास्थ्य के लिये
यदि आपका बच्चा बहुत जल्दी-जल्दी बीमार पड़ रहा हो और आप को लग रहा कि दवा काम नहीं कर रही है, डाक्टर बीमारी खोज नहीं पा रहे है। तो यह उपाय शुक्ल पक्ष की अष्टमी को करना चाहिये। आठ गोतमी चक्र ले और अपने पूजा स्थान में मां दुर्गा के श्रीविग्रह के सामने लाल रेशमी वस्त्र पर स्थान दें। मां भगवती का ध्यान करते हुये कुंकुम से गोमती चक्र पर तिलक करें। धूपबत्ती और दीपक प्रावलित करें।धूपबत्ती की भभूत से भी गोमती चक्र को तिलक करें। ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे की 11 माला जाप करें। जाप के उपरांत लाल कपड़े में 3 गोमती चक्र बांधकर ताबीज का रूप देकर धूप, दीप दिखाकर बच्चे के गले में डाल दें। शेष पांच गोमती चक्र पीले वस्त्र में बांधकर बच्चे के ऊपर से 11 बार उसार कर के किसी विराने स्थान में गड्डा खोदकर दबा दें। आपका बच्चा हमेशा सुखी रहेगा।

आर्थिक सम्पनता के लिये
आप चाहते है कि आपकी आर्थिक संपंता स्थिर रहें के लिए उचित परिश्रम का लाभ प्रान्त हो, किसी भी माह के प्रथम शुक्ल पक्ष को यह प्रयोग आरंभ करें और नियमित 3 शुक्रवार को यह उपाय करें। प्रत्येक दिन नित्यक्रम से निवृत्त होकर स्नानोंपरांत अपने घर में अपने पूजा स्थान में घी का दीपक जलाकर मां लक्ष्मी को मिश्री और खीर का भोग लगायें। तत्पश्चात 11 वर्ष की आयु से कम की कन्याओं को श्रद्धापूर्वक भोजन करायें। भोजन में खीर और मिश्री जरूर खिलायें। भोजन के उपरांत श्रद्धानुसार लाल वस्त्र भेंट करें। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की अवश्य कृपा होगी।

दांपत्य सुख हेतु
यदि चाहते हुए वैवाहिक सुख नहीं मिल पा रहा है, हमेशा पति-पत्नि में किसी बात को लेकर अनबन रहती हो तो किसी भी शुक्रवार के दिन यह उपाय करें। मिट्टी का पात्र ले जिसमें सवा किलो मशरूम आ जाएं। मशरूम डालकर अपने सामने रख दें। पति-पत्नि दोनों ही महामृत्युंजय मंत्र की तीन माला जाप करें। तत्पश्चात इस पात्र को मां भगवती के श्री चरणों में चुपचाप रखकर आ जाए। ऐसा करने से मां भगवती की कृपा से आपका दांपत्य जीवन सदा सुखी रहेगा।

रोजगार के लिये
अगर आपको रोजगार की समस्या आ रही हो या आपके व्यवसाय में आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ रहा हो अथवा हाथ में आये अच्छे मौके निकले जा रहे हो तो ऐसी अवस्था में किसी भी माह के शुक्ल पक्ष को यह उपाय आरंभ करें। सौ ग्राम जौ, सौ ग्राम देसी चना, सौ ग्राम उड़द का आटा लें तीनों आटों को मिक्स करके गूंथ लें और इस आटे की 108 गोलियां बना लें। गोली बनाते समय ॐ श्रीं नम: का जाप करते रहें गोलियां बनाकर किसी स्वच्छ थाली में रख दें। तत्पश्चात दीपक जलायें और ॐ नम: कमलवासिन्यै स्वाहा। 11 माला जाप करें। और जप माला स्फटिक की प्रयोग करें तो बहुत अच्छा रहेगा। जप के बाद स्वच्छ पात्र में जल और गंगा जल भर कर माला को पात्र में रख दें। प्रात:काल उस जल में से माला को निकालकर उस जल को अपने घर, दुकान या व्यापारिक स्थान में छिड़क दें। ऐसा नियमित 108 दिन तक करें। 108 दिन के बाद माला को बहते पानी में प्रवाह कर दें।

कार्य बाधा निवारण के लिए
लाल कपड़े के ऊपर कुं कुम की स्याही बनाकर लाल चंदन की लकड़ी से गीता के ग्यारहवें अध्याय के 36वें शोक को श्रद्धापूर्वक लिखें। और अपने घर के दायीं ओर किसी भी कोने में टांग दें। किसी भी प्रकार की कार्य बाधा हो उसका निवारण हो जाएगा।

विवाह में विलम्ब के उपाय
जिस जातक की जन्म कुंडली में बृहस्पति नीच का हो, 6, 8, 12 भावों में क्रूर ग्रहों के साथ बैठा हो अथवा दृष्ट हो, प्रबल मार्केष हो तो ऐसी अवस्था में यह उपाय रामबाण का काम करता है। गुरुपुष्य नक्षत्र के दिन गुरु की होरा में केले की जड़ को पूजनादि करके खोदकर घर लाएं। उस जड़ को पूजन स्थान में रखकर श्रध्दापूर्वक बृहस्पति देवता का पूजन करके पीले कपड़े में लपेटकर अथवा सोने में जड़वाकर गले या दाहिनी भुजा में धारण करें। इससे गुरुजन्य दोषों का निवारण एवं व्यवसाय में लाभ होता है। साथ ही जिनके विवाह में विलम्ब हो रहा है उन्हें भी इस प्रयोग से शीघ्र लाभ होता है।

यदि किसी के विवाह में विलम्ब हो रहा है तो उसे बृहस्पतिवार का व्रत करना चाहिए। बृहस्पति व्रत कथा सुननी चाहिए तथा प्रत्येक गुरुवार को हल्दी की गांठ बिस्तर के नीचे लेकर सोएं।

यदि पति से झगड़ा होता है तो शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को पत्नी अषोक वृक्ष की जड़ में घी का दीपक और चंदन की अगरबत्ती जलाए, नैवेद्य चढ़ाए। पेड़ को जल अर्पित करते समय उससे अपनी कामना करनी चाहिए। फिर वृक्ष से सात पत्तो तोड़कर घर लाएं, श्रध्दा से उनकी पूजा करें व घर के मंदिर में रख दे। अगले सोमवार फिर से यह उपासना करे तथा सूखे पत्ताों को बहते जल में प्रवाहित कर दें।

समय पर विवाह न हो रहा हो तो शुक्ल पक्ष में किसी गुरुवार के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें। पीले वस्त्र पहल लें। बेसन को देषी घी में सेंककर बूरा मिलाकर 108 लड्डू बनाएं। पीले रंग की टोकरी में पीले रंग का कपड़ा बिछाकर उसमें ये लड्डू रख दें। इच्छानुसार कुछ दक्षिणा भी रख दें। यह सारा सामान षिव मंदिर में जाकर गणेष, पार्वती तथा षिवजी का पूजन कर मनोवांछित वर प्राप्ति का संकल्प कर किसी ब्राह्मण को दे दें। इससे शीघ्र विवाह की संभावना बनेगी।
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टोने-टोटके - कुछ उपाय - 6
छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही है।

आँखों के रोग से मुक्ति के लिए

    * आँखों में यदि काला मोतिया हो जाए तो ताम्बे के पात्र में जल लेकर उसमें ताम्बे का सिक्का व गुड डालकर प्रतिदिन सूर्य को अर्ध्य दें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार से शुरू कर चौदह रविवार करें। अर्ध्य देते समय रोग से मुक्ति की प्रार्थना करते रहें। इसके अतिरिक्त पांच प्रकार के फल लाल कपडे में बांधकर किसी भी मन्दिर में दें। यह उपाय निष्ठापूर्वक करें, लाभ होगा।


नौकरी की प्राप्ति के लिए

    * नौकरी न मिल रही हो तो मन्दिर में बारह फल चढ़ाएं। यह उपाय नियमित रूप से करें और इश्वर से नौकरी मिलने की प्रार्थना करें।


शीघ्र विवाह के लिए

    * विवाह योग्य वर या कन्या के शीघ्र विवाह के लिए घर के मन्दिर में नवग्रह यन्त्र स्थापित करें। जिनकी नई शादी हो, उन्हें घर बुलाएं, उनका सत्कार करें और लाल वस्त्र भेंट करें उन्हें भोजन या जलपान कराने के पश्चात सौंफ मिस्री जरूर दें। यह सब करते समय शीघ्र विवाह की कामना करें। यह उपाय शुक्ल पक्ष के मंगलवार को करें, लाभ होगा।


मनोकामना पूर्ती के लिये

    * व्यापार मंदा हो तथा पैसा टिकता न हो, तो नवग्रह यन्त्र और धन यन्त्र घर के मन्दिर में शुभ समय में स्थापित करें। इसके अतिरिक्त सोलह सोमवार तक पांच प्रकार की सब्जियां मन्दिर में दें और पंचमेवा की खीर भोलेनाथ को मन्दिर में अर्पित करें। सभी कामनाएं पूरी होंगी।


कुछ अन्य टोटके

    *
      बच्चे पढ़ते न हों तो उनकी स्टडी टेबल पर शुभ समय में सरस्वती यन्त्र व कुबेर यन्त्र स्थापित करें। उनके पढने के लिये बैठने से पहले यंत्रों के आगे शुभ घी का दीपक तथा गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। पढ़ते समय उनका मुंह पूर्व की ओर होना चाहिय। यह उपाय करने के बच्चों का मन पढ़ाई में लगने लगेगा और पढ़ाई पूरी हो जाने के बाद उन्हें मनोवांछित काम भी मिल जायेगा।

    *
      समाज में मान सम्मन की प्राप्ति के लिये कबूतरों को चावल मिश्रित डालें, बाजरा शुक्रवार को खरीदें व शनिवार से डालना शुरू करें।

    *
      शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार या बुधवार को चमकीले पीले वस्त्र में शुद्ध कस्तूरी लपेटकर अपने धन रखने के स्थान पर रखें, घर में सुख-समृद्धी आयेगी।

    *
      यदि मार्ग में कोई सफाई कर्मचारी सफाई करता दिखाई दे तो उसे यह कहकर की चाय-पानी पी लेना या कुछ खा लेना, कुछ दान अवश्य दें, परिवार में प्यार व सुख-समृद्धी बढ़ेगी। यदि सफाई कर्मचारी महिला हो तो शुभ फल अधिक मिलेगा।

    *
      किसी भी विशेष मनोरथ की पूर्ती के लिये शुक्ल पक्ष में जटावाला नारियल नए लाल सूती कपडे में बांधकर बहते जल में प्रवाहित करें। यह उपाय निष्ठापूर्वक करें।

    *
      शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से नित्य प्रातः में अर्पित करें। फूल हनुमानजी को मन्दिर में अर्पित करें। फूल अर्पित करते समय हनुमान जी से मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते रहें। ध्यान रहे यह उपाय करते समय कोई आपको टोके नहीं और टोके तो आप उसका उत्तर न दें।

    *
      जन्म पत्रिका में 12वें भाव में मंगल हो और खर्च बहुत होता हो, तो बेलपत्र पर चन्दन से 'भौमाय नमः' लिखकर सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाएं, उक्त सारे कष्ट दूर हो जायेंगे।

शनिवार, 11 जून 2011

aarti kayoon aur kese

आरती क्यों और कैसे?

पूजा के बाद हम सभी भगवान की आरती करते हैं।
आरती के दौरान कई विभिन्न सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है।
इन सबका विशेष अर्थ होता है।
ऐसी मान्यता है कि न केवल आरती करने, बल्कि इसमें शामिल होने पर भी बहुत पुण्य मिलता है।
किसी भी देवता की आरती करते समय उन्हें ३  बार पुष्प अर्पित करें।
इस दरम्यान ढोल, नगाडे, घडियाल आदि भी बजाना चाहिए।
एक शुभ पात्र में शुद्ध घी लें और उसमें विषम संख्या [जैसे 3,5या 7]में बत्तियां जलाकर आरती करें।
आप चाहें, तो कपूर से भी आरती कर सकते हैं।
सामान्य तौर पर पांच बत्तियों से आरती की जाती है, जिसे पंच प्रदीप भी कहते हैं।
आरती पांच प्रकार से की जाती है।
पहली दीपमाला से,
दूसरी जल से भरे शंख से,
तीसरा धुले हुए वस्त्र से
, चौथी आम और पीपल आदि के पत्तों से
और पांचवीं साष्टांग अर्थात शरीर के पांचों भाग [मस्तिष्क, दोनों हाथ-पांव] से।
पंच-प्राणों की प्रतीक आरती हमारे शरीर के पंच-प्राणों की प्रतीक है।
आरती करते हुए भक्त का भाव ऐसा होना चाहिए, मानो वह पंच-प्राणों की सहायता से ईश्वर की आरती उतार रहा हो।
घी की ज्योति जीव के आत्मा की ज्योति का प्रतीक मानी जाती है।
यदि हम अंतर्मन से ईश्वर को पुकारते हैं, तो यह पंचारतीकहलाती है।
सामग्री का महत्व आरती के दौरान हम न केवल कलश का प्रयोग करते हैं, बल्कि उसमें कई प्रकार की सामग्रियां भी डालते जाते हैं।
इन सभी के पीछे न केवल धार्मिक, बल्कि वैज्ञानिक आधार भी हैं।
कलश-कलश एक खास आकार का बना होता है। इसके अंदर का स्थान बिल्कुल खाली होता है। कहते हैं कि इस खाली स्थान में शिव बसते हैं।
यदि आप आरती के समय कलश का प्रयोग करते हैं, तो इसका अर्थ है कि आप शिव से एकाकार हो रहे हैं। किंवदंतिहै कि समुद्र मंथन के समय विष्णु भगवान ने अमृत कलश धारण किया था।
इसलिए कलश में सभी देवताओं का वास माना जाता है।
जल-जल से भरा कलश देवताओं का आसन माना जाता है। दरअसल, हम जल को शुद्ध तत्व मानते हैं, जिससे ईश्वर आकृष्ट होते हैं।
नारियल- आरती के समय हम कलश पर नारियल रखते हैं।
नारियल की शिखाओं में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार पाया जाता है।
हम जब आरती गाते हैं, तो नारियल की शिखाओं में मौजूद ऊर्जा तरंगों के माध्यम से कलश के जल में पहुंचती है।
यह तरंगें काफी सूक्ष्म होती हैं।
सोना- ऐसी मान्यता है कि सोना अपने आस-पास के वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है।
सोने को शुद्ध कहा जाता है।
यही वजह है कि सोना  भक्तों को भगवान से जोडने का माध्यम भी माना जाता है।
तांबे का पैसा- तांबे में सात्विक लहरें उत्पन्न करने की क्षमता अधिक होती है।
कलश में उठती हुई लहरें वातावरण में प्रवेश कर जाती हैं।
कलश में पैसा डालना त्याग का प्रतीक भी माना जाता है।
यदि आप कलश में तांबे के पैसे डालते हैं, तो इसका मतलब है कि आपमें सात्विक गुणों का समावेश हो रहा है।
सप्तनदियोंका जल-गंगा, गोदावरी,यमुना, सिंधु, सरस्वती, कावेरीऔर नर्मदा नदी का जल पूजा के कलश में डाला जाता है।
सप्त नदियों के जल में सकारात्मक ऊर्जा को आकृष्ट करने और उसे वातावरण में प्रवाहित करने की क्षमता होती है।
  ज्यादातर योगी-मुनि ने ईश्वर से एकाकार करने के लिए इन्हीं नदियों के किनारे तपस्या की थी।
सुपारी और पान- यदि हम जल में सुपारी डालते हैं, तो इससे उत्पन्न तरंगें हमारे रजोगुण को समाप्त कर देते हैं और हमारे भीतर देवता के अच्छे गुणों को ग्रहण करने की क्षमता बढ जाती है।
पान की बेल को नागबेलभी कहते हैं।
नागबेलको भूलोक और ब्रह्मलोक को जोडने वाली कडी माना जाता है।
इसमें भूमि तरंगों को आकृष्ट करने की क्षमता होती है।
साथ ही, इसे सात्विक भी कहा गया है।
देवता की मूर्ति से उत्पन्न सकारात्मक ऊर्जा पान के डंठल द्वारा ग्रहण की जाती है।
तुलसी-आयुर्र्वेद में तुलसी का प्रयोग सदियों से होता आ रहा है।
अन्य वनस्पतियों की तुलना में तुलसी में वातावरण को शुद्ध करने की क्षमता अधिक होती है।
-[मीता जिंदल]

मंगलवार, 31 मई 2011

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बुधवार, 25 मई 2011

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विवाह,बंधन-मोक्ष ,परदेश जाने आने का प्रशन मुक़दमे ,नए व्यापर , मंतर सिधि ,बाँझ पन पुत्र पुत्री की समस्या आदि के लिए सवयं मिलें 
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वास्तु शास्त्र :- निर्माण स्थल का चयन 
,आकार ,निर्माण से पहले, भूमि परीक्षण , दोष क्या हैं , दोष परिहार केसे हो , वास्तु  नियमो का पालन केसे हो , इन नियमों के अन्दर छिपा रहस्य क्या है ? जानें 
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कोई भी भवन निर्माण करने से पहले जाने महत्व पूरण नियम 
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घर ऑफिस फैक्ट्री  और कार्यालय में सुख शांति और समृधि के लिए सरल उपाए  वास्तु नियम के आधार से 
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टोटके

धन ,आमदनी ,प्रतिष्ठा  बड़ाने के लिए
  और दरिद्रता बेरोजगारी दूर करने के लिए जाने क्या करें उपाए 
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असली  रुद्राक्ष की महिमा और गुण जानने के लिए संपर्क कर सकते हैं 
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जनम कुंडली

वर कन्या की  जन्म कुंडली मिलाने के लिए संपर्क कर सकते हैं 

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मांगलिक योग

मांगलिक योग जान लेवा भी हो सकता है 
विवाह से पूर्व वर-कन्या की जनम कुंडली का मिलन अति आवश्यक है    और
सभी ज्योतिष सम्बन्धी प्रश्नों का सही उत्तर जानने के लिए मिलें या लिखें  
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टोटके

 १ मिर्गी का दोरा :१ टोला असली हिंग नए सफेद कपडे में बांध कर मरीज के गले में बाँध

दें , दोरे रुक जाएंगे. 
२ यात्रा शुभ करने के लिए द्वार के आगे कामिया
  सिंदूर डाल दें काम अवश्य बनेगा 
३. नवरात्रों के दिनों में काले घोड़े की नाल u आकार में मुख्य द्वार के बहार में लगाने से धन प्राप्ति के रस्ते बनते हैं , 
४ ऋण उतरने के लिए पांच गुलाब के फूल देड मीटर सफेद कपडा ले कर गायत्री मंतर का जाप करते हुए बाँध कर गंगा जी या यमुना जी के बहते जल में प्रवाह कर दें और प्रभु का गुणगान करें .
५. खचर का दन्त हमेशा अपने पास रखने से माँ लक्ष्मी की किरपा प्राप्त होती रहती है. 

वास्तु आचार्य 
9013203040





सोमवार, 9 मई 2011

CHHIPKALI

Sakuna Sastra     (Astrology of Omens)   Lizard’s Falling
by sashikanta, Part I

Lizard (Chipkali in Hindi) is two types and it has a greater significance in Sakuna Sastra which is called Astrology of omens. But what is Sakuna Sastra? It is One of the branches of Astrology where an Astrologer can predict the outcome of a question just by observing the changes in the environment is called ‘Sakuna Sastra’ or ‘Nimitta Sastra’ or Astrology of omens. The word ‘sakuna’ refers to something indicative. ‘Nimitta’ represents something happening at the moment. Let us take an example. A person going on a work found a black cat coming opposite in his way. It is a sakuna or indication that he will see delay or failure in his work. The reason is black represents planet Saturn who gives delays and failures. The cat coming in opposite direction is an indication that Saturn is not favorable for him to carry out that work.

Lizard (Chipkali) is two types and has two types of color (white and black) generally seen at home. Using Sakuna Sastra white type of Chipkali are most favorable while Black are un-favorable and inauspicious. So Falling of Chipkali in front of a human and its fell in our hand or climbed into our body or its ‘tik tik’ sound has different omens and indication in our day to day life.

Falling of Chipkali (Lizard)

1. If it’s falls in to our head then it’s a omens and indication of getting royals, wealth, luxury and blessing from the God.
a. But if it’s falls in to the person of a Rich man’s head then it’s a omen of destroying of wealth, but reverse incase of a poor person.
b. If a Rich person in Bad health and bed ridden if the Chipkali fall in his head then the native will get more pain and death like suffering. But it’s reverse in case of a poor person.

2. If the Lizard falls in to the forehead then the native will get class Luxury and meet various good friends in near future.

3. If the Lizard falls in to the middle of the eyebrow then the native will get royal grant and prestige.

4. If the Lizard falls in to the nose then the native will get auspicious results, rid of pains, and he/she will be fortunate.

5. If the Lizard falls in to the right ear then it will increase the longevity of the native.

6. If in the left ear them Gains.

7. If the lizard fall in to two eyes then opportunity of Alliances and relationship.

8. In lip it will destroy wealth.

9. Under the lip it will Increases the health, wealth and Luxuries.

10. If the Lizard falls in to the right hand shoulder then the native gain respect from one’s spouse, higher post in job, and meet various good friends and influence persons

11. If the Lizard falls in to the left hand shoulder then the native will get fear from Govt or higher authorities.

12. If the Lizard falls in to the above the Larynx (throat) then the native will get favorite good and materialistic and destroy his enemy.

13. In right side of the throat gain of friends.

14. If the Lizard falls in to the face then Gain of Sweet food, but no result will experience if its climb into your face and shoulder.

15. If it fall in to nails then Gain of wealth.

16. If it fall into the any of the two Breasts of men then for left side it’s bring Bad luck and for right side fortunate. Women, Left side good luck and right bad.

17. If in the womb then native will get well-wisher and good loveable friends

18. If it fall in to the right hand of any native then he/she will get new wearer and reverse in case of left hand

19. Bring death if it fall in to your heart

20. If the Chipkali fall into a pregnant women’s womb the she will get Great and fortunate son

21. If fall in the back area then one lose his son

22. If fall hip then indication of new diseases, but after falling if it climb to the top then once get good dresses

23. For the right thigh it will destroy your wealth and for left it is a good omen regarding your son. For two thighs its bring sound wealth

24. For two keens you will get Good vehicles

25. If its fall into your genitalia then you will meet friends

26. For right foot brings long distance travel, and for left foot its destroy your good friend

27. If its fall in to your two feet then you will be in danger

28. If its fall in to your toes then it’s a omen of being tension and getting in to life threaten danger

29. If it fell between your big toe and small toe then you may opt for a big holiday with your all family members

30. If the lizard fall between your ankle and foot then it will kill your wife

31. If its fall into your (head)hairs then danger to death

32. If it fell in to your feet and at that time if its climbed upward up to your head then you will get Royals and vast land

33. If its fell in to your left body part and simultaneously if it’s get down through the same left side body then you will get all types of gains

34. If its fell in to your right body part and simultaneously if it’s get down through the left side of your body then you will get all types of deprivations

35. If you’re sleeping and then its fall in to you, so after one month the native will die or he/she may get some respite. But death like suffering would be sure

36. If it fall while you eating vessels then you will get wealth

37. If the lizard fall in front of you not in you then you will get desired result and wishes

38. If the lizard fall in to any part of your body and if it’s go upward then it’s a omen of improvements of that period of time

39. There would be no result if during the Panchanga time of Vadra or Dagda Thithi , Krura Var, Baidhruthi, Mrutu, Jama Ghantaka Yoga, Krura Lagna

40. Dyas : Monday, Wed, Thursday, Friday : Auspicious result
Tuesday, Saturday, Sunday : Inauspicious result

41. Tithi : Pratipada(1st), Dwitiya(2nd), Chaturthi(4th) – Create Diseases; Trutiya(3rd) – Gaines; Panchami(5th) , Shasthi(6th), Saptami(7th), Dwadasi(12th) – Wealth; Astami(8th), Navami(9th), Dasami(10th) – Painfull; Ekadashi(11th) – Gain of Son; Tryodashi(13th), Chaturdashi(14th), Poornima(Full Moon), Amavasya (full waning moon) – Danger. (NB. These are the Moon cycle from 1 to 14th day and Poornima is the full moon while Amavasya is full waning moon, please check the Vedic Panchang will help to understand these termilogy)

42. Nakshatra(Constellation): Aswani(Beta Arietis) – Cure and successful; Bharani(Arietis) – Diseases giver; Krittika(Alcyone), Vishakha(A Librae) – Destroyer of wealth; Rohini(Aldebaran), Mrigashira(Orionis) – Gain of wealth; Arudra(Betelgeuse) – Danger to death; Punarvasu( Geminorium), Pushya(Cancri) – Gains; Hasta(Aquarii), Chitra(Spica), Swati( Bootis) – Auspicious; Ashlesha( Hydrae), Jeysta(Antares), Moola( Scorpii), Purva Ashadha( Sagittarii), Uttara Ashadha( Sagittarii), Abhijit(), Dhanista( Delphini) – Pain till the death; Magha( Hydrae),Purva Phalguni(Leonis),Uttara Phaguni (Denebola) – Auspicious; Anuradha(Betelgeuse), Shravana(), Shatabhishaj(Aquarii), Purva Bhadrapada(Pegasi), Uttara Bhadrapada( Pegasi) – Huge gain or Gain of Royal or States; Revati (Piscium) – Gain of longevity.

DOS or Remedies
After the Lizard fell in to you go and do a bath without changing your clothes. Donates to priest like (Black grams, til, money, gold etc with proper Dakshina) pray to your lord or esta devi to get rid of evil effect by chanting 108 time the Mantra, also light some lamps to get rid of the evils. This above remedies also can be done if the fall of lizard is auspicious to strengthen its effect

TEEN

वर्तमान की चिंता करो इनके  सुधरने से भूत भविष्य सुधर जाएगा

TEEN UPWAAS

तीन उपवास  एकादशी >पूर्णिमा >> और अमावस्या अवश्य करें

PRABHU AUR HUM

प्रभु के साथ किसी भी तरह का सम्बन्ध सदा कल्याण करी ही होता है .

shraadh

श्राद्ध करना क्यों जरूरी  
-अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'
 


।।ॐ अर्यमा न त्रिप्य्ताम इदं तिलोदकं तस्मै स्वधा नमः।...ॐ मृत्योर्मा अमृतं गमय।
पितरों में अर्यमा श्रेष्ठ है। अर्यमा पितरों के देव हैं। अर्यमा को प्रणाम। हे! पिता, पितामह, और प्रपितामह। हे! माता, मातामह और प्रमातामह आपको भी बारम्बार प्रणाम। आप हमें मृत्यु से अमृत की ओर ले चलें।

पृथ्वी पर कोई भी दृश्य-अदृश्य वस्तु सूर्यमंडल तथा चंद्रमंडल के सम्पर्क से ही बनती है। देवताओं के लिए सूर्य का मंडल और पितरों के लिए चंद्रमंडल माना गया है। जैसे सूर्य का ताप फैलने से बहुत से जीव-जंतु और वनस्पतियाँ अस्तित्व खो देते हैं उसी प्रकार चंद्र का प्रकाश फैलने से बहुत से जीव-जंतु उत्पन्न हो जाते हैं। सूर्य और चंद्र की किरणों से कई जीव, वनस्पति का जन्म होता है और बहुत से अपना जन्म गवाँ बैठते हैं। लेकिन दोनों की सम्मिलित किरण का प्रभाव भी व्यापक स्तर पर होता है।

धर्मशास्त्रों अनुसार पितरों का निवास चंद्रमा के उर्ध्वभाग में माना गया है। यहाँ आत्माएँ मृत्यु के बाद एक वर्ष से लेकर सौ वर्ष तक मृत्यु और पुनर्जन्म के मध्य की स्थिति में रहते हैं। यह सभी जानते हैं कि उत्तरायण में देव जागृत रहते हैं और दक्षिणायन में सो जाते हैं। उसी तरह चंद्रमास के कृष्ण पक्ष को पितरों का पक्ष माना जाता है।

सूर्य की सहस्त्रों किरणों में जो सबसे प्रमुख है उसका नाम 'अमा' है। उस अमा नामक प्रधान किरण के तेज से सूर्य त्रैलोक्य को प्रकाशमान करते हैं। उसी अमा में तिथि विशेष को चन्द्र (वस्य) का भ्रमण होता है तब उक्त किरण के माध्यम से चंद्रमा के उर्ध्वभाग से पितर धरती पर उतर आते हैं इसीलिए श्राद्ध पक्ष की अमावस्या तिथि का महत्व भी है। अमावस्या के साथ मन्वादि तिथि, संक्रांतिकाल, व्यतिपात, चंद्रग्रहण तथा सूर्यग्रहण इन समस्त तिथि-वारों में भी पितरों की तृप्ति के लिए श्राद्ध किया जा सकता है।


शास्त्र अनुसार शरीर में पंचकोष में (जड़, प्राण, मन, बुद्धि और आनंद) आत्मा तीन रूप में विद्यमान रहता है- 1. विज्ञान आत्मा, 2. महान आत्मा और 3. भूत आत्मा। कहना चाहिए कि अपने-अपने कर्म अनुसार किसी भी आत्मा को आत्मशक्ति प्राप्त होती है। शरीर, सूक्ष्म शरीर और मन नहीं हो तो आत्मशक्ति के बल पर ही अपना वजूद कायम किया जाता है, लेकिन यह सब शरीर में रहकर ही किया जा सकता है।

1. विज्ञान आत्मा : विज्ञान आत्मा का अर्थ है विशेष ज्ञान प्राप्त आत्मा। माना जाता है कि जो आत्मा गर्भधान से पहले स्त्री-पुरुष में संभोग की इच्छा उत्पन्न करता है, वह आत्मा रोदसी नामक मंडल से आता है। उक्त मंडल पृथ्वी से सत्ताईस हजार मील दूर कहा गया है।

2. महान आत्मा : शास्त्र अनुसार महान आत्मा चंद्रलोक से अट्ठाइस अंशात्मक रेतस बनाकर आता है। उसी 28 अंश रेतस से पुरुष पुत्र पैदा करता है। रेतस का अर्थ होता है सोम। सोम का अंश। हमारे शरीर में पाँच तत्वों में सोम का अंश भी रहता है।

3. भूतात्मा : माना जाता है कि माता-पिता द्वारा खाए गए अन्न के रस से बने वायु द्वारा गर्भ में जो प्रवेश करता है उसे भूतात्मा कहते हैं। ऐसी प्रज्ञानात्मा या भूतात्मा पृथ्वी के अलावा किसी अन्य लोक भ्रमण नहीं कर सकती है।

मृत प्राणी की आत्मा अपने कर्म अनुसार या तो धरती पर सुप्तावस्था में पड़ा रहता है या पुनर्जन्म की प्राकृतिक प्रक्रिया में शामिल हो जाता है या चंद्रलोक में चला जाता है। प्रत्येक आत्मा के साथ उसके कर्म और विचार अनुसार अलग-अलग न्याय होता है।

अकाल मृत्यु, इच्छा लेकर मरे और बहुत ज्यादा दुख-संताप झेलकर मरे लोग आसानी से मुक्त नहीं हो पाते। वे सभी पितर अपनी-अपनी आत्मशक्ति के बल पर स्थिति और स्थान पाते हैं। फिर भी सभी चंद्रमंडल के बंधन में ही बँधे रहते हैं। यही पितर अपनी पीढ़ियों से मुक्ति की कामना रखते हैं। जो इनकी कामना की पूर्ति करते हैं पितर उनको आशीर्वाद देते हैं और पितरों के आशीर्वाद जल्द ही फलित भी होते हैं।


चंद्रलोक में गई महानात्मा से 28 अंश रेतस माँगा जाता है, क्योंकि चंद्रलोक से 28 अंश रेतस लेकर ही वह उत्पन्न हुआ था। 20 अंश रेतस (सोम) को 'पितृ ॠण' कहते हैं। 28 अंश रेतस के रूप में 'श्रद्धा' नामक मार्ग से भेजे जाने वाले 'पिण्ड' तथा 'जल' आदि के दान को श्राद्ध कहते हैं। इस श्रद्धावान मार्ग का संबंध मध्याह्न काल से है। मध्याह्ल में ही श्राद्ध किया जाता है।

संसार में सोम संबंधी वस्तु विशेषत: चावल और जौ ही है। धान और जौ में रेतस (सोम) का अंश विशेष रूप से रहता है। अश्विन कृष्ण पक्ष में यदि चावल तथा जौ का पिण्डदान किया जाए तो चंद्रमंडल को रेतस पहुँच जाता है, पितर इसी चंद्रमा के ऊर्ध्व देश में रहते हैं। अश्विन कृष्ण पक्ष प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक ऊपर की ओर रश्मि तथा रश्मि के साथ पितृप्राण पृथ्वी पर व्याप्त रहता है।

पितृ पक्ष में जो तर्पण किया जाता है, उससे वह पितृप्राण स्वयं आप्यायित होता है। ठीक अश्विन शुक्ल प्रतिपदा से वह चक्र ऊपर की ओर होने लगता है, 15 दिन पश्चात अपना-अपना भाग लेकर शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से उसी रश्मि के साथ पितृप्राण रवाना हो जाता है। इसलिए इसे पितृ पक्ष कहते हैं। पितृ पक्ष में पितृप्राण चंद्रमा के ऊर्ध्व देश में रहते हैं, वे स्वत: ही चन्द्र पिण्ड की परिवर्तित स्थिति के कारण पृथ्वी पर व्याप्त होते हैं, इसी कारण पितृ पक्ष में तर्पण का इतना महत्व है।

शास्त्रों में निर्देश है कि यदि अपने कर्मों के अनुसार उनको देव योनि प्राप्त हो तो वह अन्न उन्हें अमृत रूप में प्राप्त होता है, यदि उन्हें गन्धर्व लोक की प्राप्ति हो तो वह अन्न उन्हें भोग्य रूप में प्राप्त होता है, यदि वह पशु योनि में हो तो वह अन्न उन्हें तृण रूप में प्राप्त होता है, यदि वह प्रेत योनि में हो तो वह अन्न उन्हें रुधिर रूप में प्राप्त होता है और यदि कर्मानुसार मनुष्य योनि प्राप्त हो तो वह अन्न उन्हें अन्न आदि के रूप में प्राप्त होता है।

श्राद्ध पक्ष आते ही सभी पितृ मनोमय रूप में श्राद्ध स्थल पर उपस्थित होते हैं और वायु रूप में भोजन प्राप्त करते हैं। सूर्य कन्या राशि में आता है, तो पितर अपने पुत्र और पौत्रों के घर जाते हैं। अत: उन्हें पत्र, पुष्प, फल और जल तर्पण से यथा शक्ति उन्हें तृप्त करना चाहिए। यज्ञ या धूप से उठने वाले सुगंधित ‍तथा पाँच तत्वों से मिश्रित धुएँ से उनको तृप्ति मिलती है। इसीलिए जौ, चावल, दूध, घी और गुड़ आदि से धूप देकर अँगूठे से जल अर्पण किया जाता है।

कन्या राशि में सूर्य रहने पर भी जब श्राद्ध नहीं होता तो पितर तुला राशि के सूर्य तक पूरे कार्तिक मास में श्राद्ध का इंतजार करते हैं और तब भी न हो तो सूर्य देव के वृश्चिक राशि पर आने पर पितर निराश होकर अपने स्थान पर लौट जाते हैं। जो व्यक्ति श्राद्ध से विमुख होता है वह दुख पाता है। मृत्यु के बाद वह भी पितर कहलाता है।

रविवार, 27 मार्च 2011

U R ONE PH. CALL AWAY TO SHOOT OUT YOUR PROBLEMS..: HARIDWAR

U R ONE PH. CALL AWAY TO SHOOT OUT YOUR PROBLEMS..: HARIDWAR: " पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे तंत्र : वशीकरण के प्रयोग 1. सुदर्शन वृक्ष की जड़ ..."

HARIDWAR


1. सुदर्शन वृक्ष की जड़ को पुष्य नक्षत्र रविवार के दिन लाकर कपूर और तुलसी पत्र मिलकर वस्त्र पर लेपन करें।
फिर उस वस्त्र की बत्ती बनाकर विष्णुकांता के बीजों के तेल को दीपक में जलाकर पवित्रता से सावधानीपूर्वक काजल बना लें। उस काजल के अंजन को नेत्रों में लगाएँ, राजा (अधिकारी) के पास जाएँ, राजा वश में हो जाए।

2. कपिलापयसा युर्क्तापेष्टतापार्माग मूलकम्।
ललाटे तिलकं कृत्वा वशीकुर्यात्र्जात्रयम्।

अर्थात - ओगा की जड़ को कपिला गाय के दूध में पीसे और मस्तक पर तिलक लगावें तो सभी लोग वश में हों।

3. बड़ की जड़ को लेकर जल के साथ पीसकर भस्म के साथ मस्तक पर लगाने पर सभी लोग अर्थात् जिससे आप आँख एकटक मिलाएँ, वश में हो जाए।

4. रोचनान्सहदेवीभ्यां तिलक लोकवश्यकृत्।
गृहीत्वौटुम्बरं मूलं ललाटे तिलकं चरेत्।।

गोरोचन और सहदेवी का तिलक सब लोगों को वश में करता है।
गुलर की जड़ को लेकर मस्तक पर तिलक लगाएँ, देखने मात्र से सभी लोगों का प्रिय हो जाता है।

5. करे सौदर्शनं बध्वा राजप्रियो भवेत्।
सिंही मूले हरेत्पुष्ये कटि बध्वा नृपप्रिय:

हाथ में सुदर्शन की जड़ बाँधें। तो राजा प्रिय होता है अथवा

कांकरासिंही की जड़ पुष्य नक्षत्र में लाकर कमर में बाँधें तो राजा (मंत्री, अधिकारी) वश में होता है अथवा राजा का प्रिय हो जाता है।

6. ऊँ नमो भास्कराय इत्यादि मंत्र को एक लाख बार जप कर लें। फिर पुष्य (रविवार पुष्य) नक्षत्र के दिन

ओंगा के बीज लाए, विधिवत आमंत्रित करके राजा को दे दे। वह राजा की नस-नस में आप बस जाओगे अर्थात अत्यंत प्रिय हो जाओगे।

उपरोक्त जितने मंत्र, यंत्र, तंत्र दिए गए हैं, आप व्यवस्थित शुद्ध मन से करें।  

दूसरों की भलाई हेतु ही कार्य में लें। नि:स्वार्थ कार्य करें। लालच या बुराई के कार्य में न लें।
SANKLAN
VAASTU ACHaRYA

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

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जब भी लग्नेश सप्तम भाव में राहू या शनि से दृष्ट  होता है 
सप्तमेश ओर  शुक्र की युति राहू /शनि से होती हो तो अंतरजातीय विवाह के योग बनते हैं
लग्नेश ओर शनि बलहीन हो कर सन्यास का अनुभव करवाते हैं 
४ या अधिक गृह कुंडली में कहीं भी विराज कर सन्यास का फल देते हैं 
चंदर्मा ९ भाव में किसी भी गृह से न तो देखा जाता हो ओर न ही किसी अन्य गृह को देखता हो तो 
सन्यास योग को बल मिलता है 
जब भी चंद्रमा सूर्य के साथ सप्तम में बैठ
जाते हैं तो विवाह कभी भी तलाक  का रूप ले लेगा
लड़की की कुंडली में सातवे घर का सूर्य होना अच्छा फल नहीं देता 
यह योग शादी शुदा जिन्दगी के लिए कष्ट दायक ही देखा जाता है 

आज के समाज में आज से पहले भी कुछ इसी तरह के प्रशन आते थे की
शादी कब होगी      कहाँ  होगी    किस दिशा में होगी 
यह प्रशन आज भी माता पिता के लिए उतने ही महत्व पूरण हैं जितने की पहले थे  
बेशक आज की  समयधारा   बहूत बदल गई है 
अगर आप की भी कोई ऐसी ही समस्या हो तो 
संपर्क कर के देखो    सेवा करने से अच्छा लगेगा 
बहुत हैं ओर भी योग ओर कारण::::::::: अभी इतना ही
वास्तुअचार्य 
०९०१३२०३०४० 
जब भी लग्नेश सप्तम भाव में राहू या शनि से दृष्ट  होता है 
सप्तमेश ओर  शुक्र की युति राहू /शनि से होती हो तो अंतरजातीय विवाह के योग बनते हैं
लग्नेश ओर शनि बलहीन हो कर सन्यास का अनुभव करवाते हैं 
४ या अधिक गृह कुंडली में कहीं भी विराज कर सन्यास का फल देते हैं 
चंदर्मा ९ भाव में किसी भी गृह से न तो देखा जाता हो ओर न ही किसी अन्य गृह को देखता हो तो 
सन्यास योग को बल मिलता है 
जब भी चंद्रमा सूर्य के साथ सप्तम में बैठ
जाते हैं तो विवाह कभी भी तलाक  का रूप ले लेगा
लड़की की कुंडली में सातवे घर का सूर्य होना अच्छा फल नहीं देता 
यह योग शादी शुदा जिन्दगी के लिए कष्ट दायक ही देखा जाता है 

आज के समाज में आज से पहले भी कुछ इसी तरह के प्रशन आते थे की
शादी कब होगी      कहाँ  होगी    किस दिशा में होगी 
यह प्रशन आज भी माता पिता के लिए उतने ही महत्व पूरण हैं जितने की पहले थे  
बेशक आज की  समयधारा   बहूत बदल गई है 
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