शनिवार, 21 मई 2016

जब कोई आपको एक सलाह बिना भुगतान लिए  देता है जो आप के लिए फायदेमंद है , तो  वहाँ एक मौका है कि आप उस सलाह का पालन  करें या न करें । 
लेकिन जब आप किसी  सलाह के लिए  भुगतान करते हैं, तो आप की इच्छा होगी ही की सुझाव का पालन किया जाए और आप करेंगे भी और  इसी में आपकी बेहतरी भी होगी।


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गुरुवार, 12 मई 2016

1. की जड़ को पुष्य नक्षत्र रविवार के दिन लाकर कपूर और तुलसी पत्र मिलकर वस्त्र पर लेपन करें। फिर उस वस्त्र की बत्ती बनाकर विष्णुकांता के बीजों के तेल को दीपक में जलाकर पवित्रता से सावधानीपूर्वक काजल बना लें। उस काजल के अंजन को नेत्रों में लगाएँ, राजा (अधिकारी) के पास जाएँ, राजा वश में हो जाए। 

2. कपिलापयसा युर्क्तापेष्टतापार्माग मूलकम्।
ललाटे तिलकं कृत्वा वशीकुर्यात्र्जात्रयम्।

अर्थात - ओगा की जड़ को कपिला गाय के दूध में पीसे और मस्तक पर तिलक लगावें तो सभी लोग वश में हों।

3. बड़ की जड़ को लेकर जल के साथ पीसकर भस्म के साथ मस्तक पर लगाने पर सभी लोग अर्थात् जिससे आप आँख एकटक मिलाएँ, वश में हो जाए। 

4. रोचनान्सहदेवीभ्यां तिलक लोकवश्यकृत्।
गृहीत्वौटुम्बरं मूलं ललाटे तिलकं चरेत्।।

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गोरोचन और सहदेवी का तिलक सब लोगों को वश में करता है। गुलर की जड़ को लेकर मस्तक पर तिलक लगाएँ, देखने मात्र से सभी लोगों का प्रिय हो जाता है।

5. करे सौदर्शनं बध्वा राजप्रियो भवेत्।
सिंही मूले हरेत्पुष्ये कटि बध्वा नृपप्रिय:

हाथ में सुदर्शन की जड़ बाँधें। तो राजा प्रिय होता है अथवा कांकरासिंही की जड़ पुष्य नक्षत्र में लाकर कमर में बाँधें तो राजा (मंत्री, अधिकारी) वश में होता है अथवा राजा का प्रिय हो जाता है।

6. ऊँ नमो भास्कराय इत्यादि को एक लाख बार जप कर लें। फिर पुष्य (रविवार पुष्य) नक्षत्र के दिन ओंगा के बीज लाए, विधिवत आमंत्रित करके राजा को दे दे। वह राजा की नस-नस में आप बस जाओगे अर्थात अत्यंत प्रिय हो जाओगे।

उपरोक्त जितने मंत्र, यंत्र, दिए गए हैं, आप व्यवस्थित शुद्ध मन से करें। दूसरों की भलाई हेतु ही कार्य में लें। नि:स्वार्थ कार्य करें। लालच या बुराई के कार्य में न लें।
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करियर के लिए जलाएँ दीप

कब और कहाँ जलाएँ दीप

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कहते हैं प्रार्थना में बड़ी शक्ति होती है, इससे व्यक्ति अपने उन कार्यों को भी सिद्ध कर लेता है, जो उनको असंभव दिखाई देते हैं। आजकल युवा प्रेयर की ओर आकर्षित हो रहे है। स्टडी और करियर में ‍व्यस्त होने के बावजूद भी रोज शाम को मंदिरों में दीपक लगाना नहीं भूलते। युवा इसे समाज की परंपरा बताते हैं तो किसी के लिए प्लेनेट की शांति के लिए आवश्यक उपाय। मंदिरों में अक्सर सूर्यास्त के बाद पीपल के वृक्ष व भगवान की मूर्ति के आगे युवक-युवतियों को दीप जलाते देखा जा सकता है। 

आइए देखते हैं कब और कहाँ जलाएँ दीप ताकि आपकी प्रॉब्लम दूर हो सकें। 

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सोमवार के दिन शिवजी के मंदिर में दीप जलाने से युवतियों को मनवांछित वर मिलता है एवं शादी भी जल्दी हो जाती है। लव मैरिज करने की इच्छा रखने वालों को यह उपाय जरूर करना चाहिए। 

मंगलवार को विष्णु मंदिर व केले के वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाने से हेल्थ व फिटनेस मिलती है। 

बुधवार के दिन विष्णु भगवान और गणेशजी को प्रसन्न करने के लिए घी का दीपक जलाएँ। इससे ‍फिजुलखर्ची कम होगी। बाधाएँ दूर होगी। 

बृहस्पतिवार के दिन मंदिर या केले के वृक्ष तले दीपक जलाना चाहिए। इससे जीवन में आ रही रूकावटें दूर होकर समस्त मनोकामनाएँ पूर्ण होंगी। विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए घी का दीपक जलाएँ। 


शुक्रवार के दिन दुर्गा माता के मंदिर में घी का दीपक जलाने से समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। सौभाग्य मिलता है। 

शनि से प्रभावित लोगों के लिए हनुमानजी व पीपल के वृक्ष के नीचे तेल का दीपक जलाने से जीवन की हर अड़चन दूर होती है। खासकर करियर की उलझनें कम होती है। 

शनिवार के दिन हनुमान मंदिर व पीपल के वृक्ष के नीचे तेल का दीपक जलाने से शनि के नेगेटिव प्रभाव से शांति मिलती है। जिनका स्टडी में मन नहीं लगता उन्हें यह उपाय करना चाहिए।

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कई बार व्यक्ति जिस स्थान पर जन्म लेता है वहाँ उसकी प्रोग्रेस नहीं हो पाती मगर उस प्लेस से दूर जाते ही उसकी प्रोग्रेस होने लगती है, असेट्‍स भी बनने लगते हैं। इसे जानने के लिए हॉरोस्कोप देखना जरूरी है।

यदि धन का आगमन देखना हो तो 'इलेवन्थ हाउस' में जो राशि होती है, उसके अनुसार लाभ व प्रोग्रेस की दिशा तय की जाती है। यदि प्रोग्रेस, जॉब ‍आदि के लिए माइग्रेट करना हो तो नवम-दशम हाउस देखे जाते हैं। 

* राशियों के अनुसार देखें तो मेष, सिंह, धनु पूर्व दिशा को दर्शाते हैं। 
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* वृषभ, कन्या, मकर ये ‍दक्षिण दिशा को दिखाते हैं। 
* मिथुन, तुला, कुंभ पश्चिम को दिखाते हैं। 
* कर्क, वृश्चिक, मीन की दिशा उत्तर होती है।

ग्रहों की दिशाएँ 
* ग्रहों में सूर्य ईस्ट का, चंद्र नॉर्थ-वेस्ट (वायव्य) का, मंगल साउथ का, बुध नॉर्थ का, गुरु नॉर्थ-ईस्ट का, शुक्र साउथ ईस्ट का, शनि वेस्ट का, राहु-केतु साउथ-वेस्ट का स्वामी है। 

हॉरोस्कोप में रूलिंग प्लेनेट की (मनुष्य ग्रह) की दिशा के अनुसार भी भाग्योदय या धनलाभ की दिशा को जाना जा सकता है
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शनिवार, 20 दिसंबर 2014

maa lakshmi ji ka niwas sthan

जो शूरबीर प्राणी उचित ढंग से कार्य करने को उत्साहित ,
बिना व्यसन के सब के उपकार मानता हुआ
स्वच्छ वातावरण का निवासी मित्र प्रेमी हो उसके यहां माँ धन लक्ष्मी  सदेव निवास करती हैं.
एक प्रत्यन   और
नाम बदलें। ……………… भाग्य बदलें
लाल किताब से जानिए कुंडली के भाव का फल और ग्रह  की कार्यप्रणाली।
गौरीशंकर रुद्राक्ष की महिमा। ....
शनि देव की महिमा
ग्रहों के अनिष्ट प्रभाव का निवारण …… शादी मैं ज्योतिष और वास्तु दोष कारण
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माँ बगुला मुखी
माँ सरस्वती
नजरदोष निवारण
 संतान गोपाल  कवच
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भोज पत्तर  के ऊपर बनाए कवच
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email   :astropujacentre@gmail.com

वास्तु का कितना प्रभाव। …?
कहा जाता है की  पता नहीं>>>>>>क्या कारन है    जो पूर्ण प्रयास  और परिश्रम करने पर भी   पूर्ण फल प्राप्त नहीं हो रहा
 व्यक्ति जहाँ रहता है   यानी  निवास   करता है   .वहां    ३०% प्रभाव  तो उस पर अपने  ग्रहों का ही होता है
पहले जनम के कर्मो का फल तो उसे भोगना ही है। ।
 कहा गया है.…  लेख न मिटे हे सखी जो लिख्या करतार।
और   ४०% प्रभाव उस पर     वातावरण का पड़ता है.... जहां वो रहता हे…, निवास करता है कार्य करता है वहां …वास्तु नियम यहां लगेंगे ही....
२०%  माता पिता का प्रभाव। .... उसके जन्म  का वातावरण … और उसकी परवरिश  का प्रभाव।
 खाने पीने  का अन्न का प्रभाव। …क़ह्ते हैं   न   जैसा अन्न   वैसा  मन। ....

१० % प्रभाव परिवार  और दोस्त संगे सम्बन्धी आदि का।

अतः यदि आपके निवास   और  कार्यस्थल का प्रभाव सकारात्मक है तो हम स्वतः अनेक प्रकार की समस्याओं से बच सकते हैं . 
आचार्य अवतार सिंह
email  astropujacentre@gmail.com

रविवार, 6 अक्तूबर 2013

ईश्वर के नाम का जप करो
जैसे पानी की बूँद को बाष्प बनाने से उसमें 1300 गुनी ताकत आ जाती है वैसे ही मंत्र को जितनी गहराई से जपा जाता है, उसका प्रभाव उतना ही ज्यादा होता है |
गहराई से जप करने से मन की एकाग्रता बढ़ती है |
एकाग्रता सभी सफलताओं की जननी है |
मंत्रजाप निष्काम भाव से प्रीतिपूर्वक किया जाना चाहिए |

भाव से प्रेमपूर्वक विधिसहित जप करने वाला साधक बहुत शीघ्र अच्छा लाभ उठा सकता है |
ईश्वर के नाम का बार-बार जप करो |
मन को फुरसत के समय में प्रभु का नाम रटने की आदत डालें |
इसको सदैव कुछ-न-कुछ चाहिए |
चित्त खाली रहेगा तो संकल्प-विकल्प करके उपद्रव पैदा करेगा |
इसलिए पूरा दिन व रात्रि को बार-बार हरिस्मरण करें |
चित्त या तो हरि-स्मरण करेगा या फिर विषयों का चिंतन करेगा
इसलिए जप का ऐसा अभ्यास डाल लें कि मन परवश होकर नींद में या जाग्रत में बेकार पड़े कि तुरंत जप करने लगे |
इससे मन का इधर-उधर भागना कम होगा |
मन को परमात्मा के सिवाय फिर अन्य विषयों में चैन नहीं मिलेगा I