रविवार, 27 मार्च 2011

U R ONE PH. CALL AWAY TO SHOOT OUT YOUR PROBLEMS..: HARIDWAR

U R ONE PH. CALL AWAY TO SHOOT OUT YOUR PROBLEMS..: HARIDWAR: " पं. सुरेन्द्र बिल्लौरे तंत्र : वशीकरण के प्रयोग 1. सुदर्शन वृक्ष की जड़ ..."

HARIDWAR


1. सुदर्शन वृक्ष की जड़ को पुष्य नक्षत्र रविवार के दिन लाकर कपूर और तुलसी पत्र मिलकर वस्त्र पर लेपन करें।
फिर उस वस्त्र की बत्ती बनाकर विष्णुकांता के बीजों के तेल को दीपक में जलाकर पवित्रता से सावधानीपूर्वक काजल बना लें। उस काजल के अंजन को नेत्रों में लगाएँ, राजा (अधिकारी) के पास जाएँ, राजा वश में हो जाए।

2. कपिलापयसा युर्क्तापेष्टतापार्माग मूलकम्।
ललाटे तिलकं कृत्वा वशीकुर्यात्र्जात्रयम्।

अर्थात - ओगा की जड़ को कपिला गाय के दूध में पीसे और मस्तक पर तिलक लगावें तो सभी लोग वश में हों।

3. बड़ की जड़ को लेकर जल के साथ पीसकर भस्म के साथ मस्तक पर लगाने पर सभी लोग अर्थात् जिससे आप आँख एकटक मिलाएँ, वश में हो जाए।

4. रोचनान्सहदेवीभ्यां तिलक लोकवश्यकृत्।
गृहीत्वौटुम्बरं मूलं ललाटे तिलकं चरेत्।।

गोरोचन और सहदेवी का तिलक सब लोगों को वश में करता है।
गुलर की जड़ को लेकर मस्तक पर तिलक लगाएँ, देखने मात्र से सभी लोगों का प्रिय हो जाता है।

5. करे सौदर्शनं बध्वा राजप्रियो भवेत्।
सिंही मूले हरेत्पुष्ये कटि बध्वा नृपप्रिय:

हाथ में सुदर्शन की जड़ बाँधें। तो राजा प्रिय होता है अथवा

कांकरासिंही की जड़ पुष्य नक्षत्र में लाकर कमर में बाँधें तो राजा (मंत्री, अधिकारी) वश में होता है अथवा राजा का प्रिय हो जाता है।

6. ऊँ नमो भास्कराय इत्यादि मंत्र को एक लाख बार जप कर लें। फिर पुष्य (रविवार पुष्य) नक्षत्र के दिन

ओंगा के बीज लाए, विधिवत आमंत्रित करके राजा को दे दे। वह राजा की नस-नस में आप बस जाओगे अर्थात अत्यंत प्रिय हो जाओगे।

उपरोक्त जितने मंत्र, यंत्र, तंत्र दिए गए हैं, आप व्यवस्थित शुद्ध मन से करें।  

दूसरों की भलाई हेतु ही कार्य में लें। नि:स्वार्थ कार्य करें। लालच या बुराई के कार्य में न लें।
SANKLAN
VAASTU ACHaRYA

शुक्रवार, 25 मार्च 2011

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जब भी लग्नेश सप्तम भाव में राहू या शनि से दृष्ट  होता है 
सप्तमेश ओर  शुक्र की युति राहू /शनि से होती हो तो अंतरजातीय विवाह के योग बनते हैं
लग्नेश ओर शनि बलहीन हो कर सन्यास का अनुभव करवाते हैं 
४ या अधिक गृह कुंडली में कहीं भी विराज कर सन्यास का फल देते हैं 
चंदर्मा ९ भाव में किसी भी गृह से न तो देखा जाता हो ओर न ही किसी अन्य गृह को देखता हो तो 
सन्यास योग को बल मिलता है 
जब भी चंद्रमा सूर्य के साथ सप्तम में बैठ
जाते हैं तो विवाह कभी भी तलाक  का रूप ले लेगा
लड़की की कुंडली में सातवे घर का सूर्य होना अच्छा फल नहीं देता 
यह योग शादी शुदा जिन्दगी के लिए कष्ट दायक ही देखा जाता है 

आज के समाज में आज से पहले भी कुछ इसी तरह के प्रशन आते थे की
शादी कब होगी      कहाँ  होगी    किस दिशा में होगी 
यह प्रशन आज भी माता पिता के लिए उतने ही महत्व पूरण हैं जितने की पहले थे  
बेशक आज की  समयधारा   बहूत बदल गई है 
अगर आप की भी कोई ऐसी ही समस्या हो तो 
संपर्क कर के देखो    सेवा करने से अच्छा लगेगा 
बहुत हैं ओर भी योग ओर कारण::::::::: अभी इतना ही
वास्तुअचार्य 
०९०१३२०३०४० 
जब भी लग्नेश सप्तम भाव में राहू या शनि से दृष्ट  होता है 
सप्तमेश ओर  शुक्र की युति राहू /शनि से होती हो तो अंतरजातीय विवाह के योग बनते हैं
लग्नेश ओर शनि बलहीन हो कर सन्यास का अनुभव करवाते हैं 
४ या अधिक गृह कुंडली में कहीं भी विराज कर सन्यास का फल देते हैं 
चंदर्मा ९ भाव में किसी भी गृह से न तो देखा जाता हो ओर न ही किसी अन्य गृह को देखता हो तो 
सन्यास योग को बल मिलता है 
जब भी चंद्रमा सूर्य के साथ सप्तम में बैठ
जाते हैं तो विवाह कभी भी तलाक  का रूप ले लेगा
लड़की की कुंडली में सातवे घर का सूर्य होना अच्छा फल नहीं देता 
यह योग शादी शुदा जिन्दगी के लिए कष्ट दायक ही देखा जाता है 

आज के समाज में आज से पहले भी कुछ इसी तरह के प्रशन आते थे की
शादी कब होगी      कहाँ  होगी    किस दिशा में होगी 
यह प्रशन आज भी माता पिता के लिए उतने ही महत्व पूरण हैं जितने की पहले थे  
बेशक आज की  समयधारा   बहूत बदल गई है 
अगर आप की भी कोई ऐसी ही समस्या हो तो 
संपर्क कर के देखो    सेवा करने से अच्छा लगेगा 
बहुत हैं ओर भी योग ओर कारण::::::::: अभी इतना ही
वास्तुअचार्य 
०९०१३२०३०४० 
















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