नया वर्ष देहलीज पर है, पूरा माहौल रंगीन और जश्न में डूबा है। उत्तेजना बढ़ती जाती है और इकतीस दिसंबर की आधी रात हम सोचते हैं कि पुराना साल रात की सियाही में डुबोकर कल सब कुछ नया हो जाएगा। यह एक रस्म है जो हर साल निभाई जाती है, जबकि हकीकत यह है कि दिन तो रोज ही नया होता है, लेकिन रोज नए दिन को न देख पाने के कारण हम वर्ष में एक बार नए दिन को देखने की कोशिश करते हैं। दिन तो कभी पुराना नहीं लौटता, रोज ही नया होता है, लेकिन हमने अपनी पूरी जिंदगी को पुराना कर डाला है। उसमें नए की तलाश मन में बनी रहती है। तो वर्ष में एकाध दिन नया दिन मानकर अपनी इस तलाश को पूरा कर लेते हैं।
शुक्रवार, 17 दिसंबर 2010
HAPPY VERY VERY HAPPY NEW YEAR 2015............
OSHO NE KAHA
नया वर्ष ......2015.....देहलीज पर है,
पूरा माहौल रंगीन और जश्न में डूबा है।
पूरा माहौल रंगीन और जश्न में डूबा है।
उत्तेजना बढ़ती जाती है और ,
31 दिसंबर की आधी रात हम सोचते हैं कि
पुराना साल रात की सियाही में डुबोकर कल सब कुछ नया हो जाएगा।
31 दिसंबर की आधी रात हम सोचते हैं कि
पुराना साल रात की सियाही में डुबोकर कल सब कुछ नया हो जाएगा।
यह एक रस्म है ...
जो हर साल निभाई जाती है,.....
जबकि हकीकत यह है कि...
दिन तो रोज ही नया होता है,.....
लेकिन रोज नए दिन को न देख पाने के कारण हम वर्ष में एक बार नए दिन को देखने की कोशिश करते हैं। ..................
जो हर साल निभाई जाती है,.....
जबकि हकीकत यह है कि...
दिन तो रोज ही नया होता है,.....
लेकिन रोज नए दिन को न देख पाने के कारण हम वर्ष में एक बार नए दिन को देखने की कोशिश करते हैं। ..................
दिन तो कभी पुराना नहीं लौटता,....
रोज ही नया होता है,.....
लेकिन हमने अपनी पूरी जिंदगी को पुराना कर डाला है.
रोज ही नया होता है,.....
लेकिन हमने अपनी पूरी जिंदगी को पुराना कर डाला है.
उसमें ... एक.... .नए की तलाश मन में बनी रहती है।
तो वर्ष में एकाध दिन नया दिन मानकर अपनी इस तलाश को पूरा कर लेते हैं ..... हम
2014..........से........2015 का सफर .....
तो वर्ष में एकाध दिन नया दिन मानकर अपनी इस तलाश को पूरा कर लेते हैं ..... हम
2014..........से........2015 का सफर .....
VAASTU ACHARYA
गुरुवार, 16 दिसंबर 2010
SHADI AUR VISHESH JYOTISH YOG.........
जब भी लग्नेश सप्तम भाव में राहू या शनि से दृष्ट होता है
सप्तमेश ओर शुक्र की युति राहू /शनि से होती हो तो अंतरजातीय विवाह के योग बनते हैं
लग्नेश ओर शनि बलहीन हो कर सन्यास का अनुभव करवाते हैं
४ या अधिक गृह कुंडली में कहीं भी विराज कर सन्यास का फल देते हैं
चंदर्मा ९ भाव में किसी भी गृह से न तो देखा जाता हो ओर न ही किसी अन्य गृह को देखता हो तो
सन्यास योग को बल मिलता है
जब भी चंद्रमा सूर्य के साथ सप्तम में बैठ
जाते हैं तो विवाह कभी भी तलाक का रूप ले लेगा
लड़की की कुंडली में सातवे घर का सूर्य होना अच्छा फल नहीं देता
यह योग शादी शुदा जिन्दगी के लिए कष्ट दायक ही देखा जाता है
आज के समाज में आज से पहले भी कुछ इसी तरह के प्रशन आते थे की
शादी कब होगी कहाँ होगी किस दिशा में होगी
यह प्रशन आज भी माता पिता के लिए उतने ही महत्व पूरण हैं जितने की पहले थे
बेशक आज की समयDHARA बहूत बदल गई है
अगर आप की भी कोई ऐसी ही समस्या हो तो
संपर्क कर के देखो सेवा करने से अच्छा लगेगा
बहुत हैं ओर भी योग ओर कारण::::::::: अभी इतना ही
वास्तुअचार्य
०९०१३२०३०४० VAASTU ASTROLOGY COURSE
If you are on a visit to HARIDWAR OR DELHI at present or are going to visit HARIDWAR OR DELHI in coming months and want to obtain Astrological .Vaastu Consultation from VAASTU ACHARYA AVTAAR SINGH in person or want to learn VEDIC ASTROLOGY (Horoscope Reading) VAASTU OR FENG SHUI, OR NUMEROLOGY, RUDRAKSH THEREPY but are unable to come to centre in HARIDWAR OR DELHI then you can request to come to your for your purpose.
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शनिवार, 4 दिसंबर 2010
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