जब भी लग्नेश सप्तम भाव में राहू या शनि से दृष्ट होता है
सप्तमेश ओर शुक्र की युति राहू /शनि से होती हो तो अंतरजातीय विवाह के योग बनते हैं
लग्नेश ओर शनि बलहीन हो कर सन्यास का अनुभव करवाते हैं
४ या अधिक गृह कुंडली में कहीं भी विराज कर सन्यास का फल देते हैं
चंदर्मा ९ भाव में किसी भी गृह से न तो देखा जाता हो ओर न ही किसी अन्य गृह को देखता हो तो
सन्यास योग को बल मिलता है
जब भी चंद्रमा सूर्य के साथ सप्तम में बैठ
जाते हैं तो विवाह कभी भी तलाक का रूप ले लेगा
लड़की की कुंडली में सातवे घर का सूर्य होना अच्छा फल नहीं देता
यह योग शादी शुदा जिन्दगी के लिए कष्ट दायक ही देखा जाता है
आज के समाज में आज से पहले भी कुछ इसी तरह के प्रशन आते थे की
शादी कब होगी कहाँ होगी किस दिशा में होगी
यह प्रशन आज भी माता पिता के लिए उतने ही महत्व पूरण हैं जितने की पहले थे
बेशक आज की समयधारा बहूत बदल गई है
अगर आप की भी कोई ऐसी ही समस्या हो तो
संपर्क कर के देखो सेवा करने से अच्छा लगेगा
बहुत हैं ओर भी योग ओर कारण::::::::: अभी इतना ही
वास्तुअचार्य
०९०१३२०३०४०
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें